नवग्रह शांति एवं वृहद आयंबिल अनुष्ठान का आयोजन
औरंगाबाद।
मुनि अर्हत कुमार जी के सान्निध्य में नवरात्रि के आठवें दिन आयंबिल तप और नवग्रह अनुष्ठान करवाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि अर्हत कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र के द्वारा किया। तत्पश्चात मुनिश्री द्वारा अनुष्ठान करवाया गया और जप के साथ तप का महत्त्व समझाया। आज व्यक्ति का जीवन अशांति और दुःख के बीच घुटता जा रहा है। जीवन को कई चीजें प्रभावित करती हैं उसमें एक है-ग्रह। जैन सूत्र में जिसका विस्तार से उल्लेख मिलता है। अनेक मंत्रों के द्वारा इसे अनुकूल बनाया जा सकता है। नमस्कार महामंत्र और तीर्थंकरों के विशेष जप से इसे शांत किया जा सकता है। मंत्र सुख, समृद्धि एवं शांति के प्रदायक हैं।
जैन धर्म में तप का बहुत महत्त्व है और इसके अनेक प्रकारों में से एक प्रकार है-आयंबिल। आयंबिल तप स्वाद विजय की अभूतपूर्व साधना है, इसकी साधना करने वालों के जीवन में आत्मोत्कर्ष बढ़ता है। आयंबिल आत्मा को नव्यता, दिव्यता और भव्यता प्रदान करता है। सभी समाज के गणमान्य व्यक्तियों के साथ ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी आयंबिल तप में अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। सामुहिक प्रत्याख्यान करवाया व मंगल पाठ श्रवण करवाया। तेरापंथ भवन में ही सामुहिक आयंबिल करवाने की व्यवस्था की गई थी। जिसमें लगभग 75 भाई-बहनों ने सामुहिक आयंबिल किए। इस कार्यक्रम में तेरापंथी सभा, तेयुप और तेममं की टीम ने भी अपनी सहभागिता दर्ज करवाई।