दंपति शिविर का आयोजन
साउथ कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेयुप व तेममं के तत्त्वावधान में दंपति शिविर का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। ‘कैसे सुखमय हो दाम्पत्य जीवन’ पर विचार रखते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि परिवार रूपी रथ खींचने वाले दो मजबूत आधारभूत व्यक्तियों का संयुक्त नाम हैµदंपति। परिवार के केंद्र बिंदु का नाम दंपति है। दंपति का तात्पर्य एक स्त्री पुरुष से है। जो विधिवत विवाह के बंधन में बंध चुके हैं। दोनों के सहयोग से ही घर-परिवार व दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आ सकती है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए सहिष्णुता, स्नेहभाव, समर्पण, सेवा, सहयोग, सामंजस्य, सकारात्मक सोच, श्रम, संवाद आदि सूत्रों की आवश्यकता है। संदेह, अविश्वास दाम्पत्य जीवन के बाधक तत्त्व हैं। मुनिश्री ने कहा कि पति-पत्नी एक-दूसरे को उचित सम्मान दें, फिजूल खर्ची से बचें, आडंबर प्रदर्शन से दूर रहें। एक-दूसरे के विचारों को समझें, आलोचना से बचें, धर्ममय जीवन जीएँ, जिससे जीवन श्रेष्ठ बन सकता है।
मुनि परमानंद जी ने कहा कि दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए अनाग्रहमय जीवन जीएँ। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत प्रस्तुत किया। मनीष बोरड़, उपासक सुशील बाफना, उपासिका सुप्रिया सामसुखा ने विचार रखे। स्वागत भाषण तेयुप के अध्यक्ष राकेश नाहटा व आभार ज्ञापन तेममं की मंत्री अनुपमा नाहटा ने किया। संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। मनीष बोरड़ व उनकी धर्मपत्नी रेखा बोरड़ का सभा द्वारा सम्मान किया गया। मनीष बोरड़ का परिचय सभा के सहमंत्री कमल किशोर कोचर ने दिया।