शासनश्री साध्वी चांदकुमारी जी का संथारापूर्वक देवलोकगमन
बीकानेर।
शासनश्री साध्वी चांदकुमारी जी का जन्म वि0सं0 1989 पौष शुक्ला 8 को लाडनूं में श्रद्धानिष्ठ गोलछा परिवार में हुआ। आपके पिताश्री का नाम दुलीचंदजी गोलछा और माताश्री का नाम गणेशीदेवी था। आप दो भाई मुलतानमलजीए पन्नालालजीए दो बहनें चंपाबाईए कंचनबाई थी। परिवार का धार्मिक वातावरण वैराग्य का निमित्त बनाए लगभग 7 वर्ष की लघुवय में आपके भीतर वैराग्य का बीज प्रस्फुटित हो गया फिर साधु.साध्वियों के सतत संपर्क से बालिका का वैराग्य पुष्ट हो गया। इस दौरान आपने करीबन 11 हजार पद्य परिमाण गाथा कंठस्थ कर लिया। वि0सं0 2005 चैत्र शुक्ला 11 को आचार्यश्री तुलसी के हाथों संयम.रत्न को प्राप्त किया। उस दिन आठ दीक्षाएँ हुई उमें 7 दीक्षाएँ लाडनूं की थीं। आपके संसारपक्षीय गोलछा परिवार से धर्मसंघ के कुल 13 दीक्षाएँ हुई हैं।
दीक्षा के बाद 9 वर्ष लगभग गुरुकुलवास में रहने का सौभाग्य मिला। इस अवधि में माजी महाराज वदनाजी की सेवा में रहने का मौका मिलाए साथ में अध्ययन का क्रम भी सुचारु रूप से चलता रहा। कंठस्थरू आगम दश्वैकालिकए उत्तराध्ययनए आचारांगए वृहद्कल्प.व्यवहारए नंदी और व्यवहार। संस्कृतरू अभिद्यान चिंतामणिए कालु कौमुदीए उत्तरार्द्ध.पूर्वार्द्धए शांत सुधारस भावनाए सिंदूर.प्रकरणए सभी अष्टकम कई स्तोत्र करीब 15000 पद्य परमाण कंठस्थ थे। तत्त्वज्ञान मेंरू जैन तत्त्व.प्रवेश भाग.1ए 2ए 5 प्रकार के पच्चीस बोल आदि 40 थोकड़े।
आगम वाचनरू बत्तीसी दो बारए भगवती की जोड़ए पन्नवणा की जोड़ए आचारांग भाष्यए भगवती भाष्यए कई आगमों की टीकाएँ व भाष्य। जैन तत्त्व विद्याए न्याय दर्शन और योग विषयक ग्रंथों का विशेष अध्ययन.अध्यापन का कार्य किया। संघीय पाठ्यक्रम की स्नातकोत्तर ;योग्य.योग्यतर.योग्यतमद्ध परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कलारू सिलाई.रंगाईए लेखनए रजोहरण आदि कार्य में विशेष दक्षता प्राप्त की। लिपिकला में दक्ष.करीब 500 पत्र लिखे। साहित्य रचनारू करीब 7.8 व्याख्यानए मुक्तक व सैकड़ों गीतिकाओं की रचना की। बहीर्विहाररू वि0सं0 2013 सरदारशहर मर्यादा महोत्सव पर संघ समर्पिता साध्वी मनसुखांजी के साथ वंदना करवाईए उनके साथ 18 वर्ष तक तन की पछेवड़ी बनकर रहे।
दो बार दक्षिणांचलए राजस्थानए हरियाणाए पंजाबए दिल्लीए यूपीए विहारए बंगालए नेपालए गुजरातए कच्छ.सौराष्ट्रए महाराष्ट्रए कर्नाटकए तमिलनाडूए पुडुचेरी आदि प्रदेशों की लगभग 60ए000 किलोमीटर की यात्रा की। विशेष गुरुकृपारू छापर में विशेष अनुग्रह वर्षाµपूज्यप्रवर ने गुरु सन्निधि में साध्वीश्री जी की हीरक जयंती खूब उत्साह के साथ मनाई। आपने असाध्य वेदनीय को समभाव से सहाए समता अनूठी थी। दिनांक 9.11.2023 को अचानक ऐसी स्थिति बनीए 1 बजे पूर्ण सजगता.जागरूकता के साथ चैविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवायाए करीब 20 मिनट संथारा आया और लगभग 1ः30 बजे संथारापूर्वक देवलोकगमन हो गया।