अणुविभा मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अपनी शक्ति का नियोजन करती रहे : आचार्य महाश्रमण
74वें अणुव्रत अधिवेशन में देश भर से जुटे अणुविभा और अणुव्रत समितियों के प्रतिनिधि
नंदनवन, मुंबई।
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में 74वाँ अणुव्रत अधिवेशन अणुव्रत ध्वजारोहण के साथ शुरू हुआ। अणुव्रत समिति मुंबई की सांताक्रुज टीम ने अणुव्रत गीत का गायन किया। इसके बाद अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में तीन दिवसीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर अणुव्रत यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि हमारी चेतना में भावों का एक संसार है। उस संसार में सत् भाव भी रहते हैं और असत् भाव भी रहते हैं। अणुव्रत के मार्ग के माध्यम से गृहस्थों के लिए असत् से सत् की ओर प्रगति करना संभव हो सकता है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। यह केवल जैन समाज के लिए ही नहीं है, बल्कि जन-जन के लिए है। यहाँ तक कि अणुव्रत नास्तिकों के लिए भी है। नास्तिक व्यक्ति भी अणुव्रती बन सकता है बशर्ते उसका आचरण अच्छा होना चाहिए।
आचार्यप्रवर ने कहा कि अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी विराट संस्था है। इसका अपना तंत्र है। इस तंत्र का उपयोग अहिंसा, सद्भावना, नशामुक्ति के प्रसार में हो। यह संस्था अणुव्रत के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करे। मानवीय मूल्यों बढ़ावा देने के लिए अपनी शक्ति का नियोजन करती रहे। मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने अपने कक्ष में अणुव्रत कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए दो सूत्र प्रदान किए। आपने कहा कि कार्य की निरंतर समीक्षा व अनुवर्तन तथा प्राप्त जिम्मेदारी और क्रियान्वित की स्वयंस्फूर्त रिपोर्टिंग - यह सुनिश्चित किया जाए तो संस्था की प्रगति और कार्यकर्ता का विकास दोनों एक साथ सम्भव हो सकता है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अणुव्रत व जीवन विज्ञान को दो ऐसी आँखें बताया जिनसे एक सुखी व स्वस्थ समाज का सपना देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अणुव्रत इंसान को अच्छा इंसान बनाने का सुदृढ़ माध्यम है।
अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मननकुमार जी ने कहा कि अणुविभा के पास समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। अणुविभा के राष्ट्रीय महामंत्री भीखम सुराणा ने अणुविभा द्वारा किए जा रहे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला तथा पिछले वर्ष के दौरान विभिन्न प्रकल्पों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली अणुव्रत समितियों की घोषणा की। अणुविभा के उपाध्यक्ष विनोद कोठारी ने अधिवेशन के रूपरेखा प्रस्तुत की।
इसके बाद हुए सत्र में मुनि डाॅ0 अभिजीत कुमार जी ने अणुविभा की ओर से चलाए जा रहे नशामुक्ति अभियान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पहले 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग नशा करते थे। फिर 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग नशा करने लगे। आज ऐसी स्थिति आ गई है कि 30 वर्ष से कम उम्र के युवा और किशोर नशे की चपेट में आने लगे हैं। अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से हम समाज को नशामुक्त बनाने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान मुंबई के करीब पचास काॅलेजों में नशामुक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें हजारों विद्यार्थियों ने नशामुक्त रहने का संकल्प लिया।
मुनि जागृत कुमार ने कहा कि आज के समय में मोबाइल के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिणाम प्राप्त होते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि इसका संयमित उपयोग किया जाए। उन्होंने डिजिटल डिटाॅक्स कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए लोगों को इससे छुटकारा दिलाने का आह्वान किया। इस अवसर पर डिजिटल डिटाॅक्स कार्यक्रम पर आधारित डाॅक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।
दोपहर बाद के सत्र में अणुविभा के सहमंत्री मनोज सिंघवी ने अधिवेशन में देश-भर से आए प्रतिनिधियों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। वहीं अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने अणुविभा की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न प्रकल्पों के संयोजकों से संवाद शैली में प्रकल्पों की प्रगति की जानकारी प्राप्त की।
अणुव्रत अधिवेशन के दूसरे दिन सुबह नंदनवन में अणुव्रत रैली निकाली गई। इसमें अणुविभा के पदाधिकारी, कार्यसमिति समिति सदस्यों सहित देश-विदेश की अणुव्रत समितियों के कार्यकर्ता शामिल हुए। इसके बाद देश भर से आए अणुविभा के पदाधिकारियों तथा अणुव्रत समितियों के प्रतिनिधियों ने अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण की अमृत देशना सुनी। दोपहर बाद आयोजित वार्षिक साधारण सभा में अणुविभा महामंत्री भीखम सुराणा ने वर्ष 2022-23 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। साथ ही वर्ष के दौरान विभिन्न प्रकल्पों में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न समितियों को सम्मानित किया गया। अणुविभा के विभिन्न प्रकल्पों के लिए अर्थ संबल प्रदान करने वाले अणुव्रत संरक्षकों तथा अणुव्रत संपोषकों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अणुविभा के उपाध्यक्ष विनोद कोठारी ने किया।
अणुव्रत अधिवेशन के तीसरे दिन सभी प्रतिभागी अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण की सन्निधि में पहुँचे। वहाँ अणुविभा के मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा, महामंत्री भीखम सुराणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप दुगड़ और अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने तीन दिन तक चले अधिवेशन की निष्पत्ति व कार्यविधि का ब्योरा आचार्य प्रवर के समक्ष प्रस्तुत किया। इस पर अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण ने अमृत महोत्सव के लक्ष्य की समीक्षा करते हुए इसे प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। इसी के साथ 74वाँ अणुव्रत अधिवेशन संपन्न हो गया।
विशिष्ट व्यक्तियों का हुआ सम्मान अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी की ओर से आयोजित समारोह में अणुव्रत महासमिति के पूर्व अध्यक्ष, रीछेड़ निवासी, दादर (मुंबई) प्रवासी वरिष्ठ श्रावक तथा ‘अणुव्रत सेवी’ डालचंद कोठारी को ‘अणुव्रत गौरव सम्मान’ से अलंकृत किया गया। इसके तहत उन्हें स्मृति चिह्न, प्रशस्ति-पत्र एवं अंग वस्त्र प्रदान किया गया। अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मनन कुमार के सान्निध्य में आयोजित मंगलभावना कार्यक्रम में अणुविभा की ओर से अंगवस्त्र और शाॅल ओढ़ाकर अणुव्रत गौरव मुमुक्षु धनराज बैद का सम्मान किया गया। अणुविभा के मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा ने भावपूर्ण शब्दों में मुमुक्षु धनराज बैद का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि धनराज बैद ने अब तक अणुव्रती का जीवन जीया और अब महाव्रती की राह पर अग्रसर हो रहे हैं।
तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष मनसुख सेठिया, अणुविभा महामंत्री भीखम सुराणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप दुगड़, जस्टिस गौतम चैरड़िया, अणुविभा के न्यासी सुमतिचंद गोठी, गुजरात राज्य प्रभारी अर्जुन मेड़तवाल, अणुव्रत गौरव डालचंद कोठारी ने मुमुक्षु धनराज बैद के लिए आध्यात्मिक मंगलकामना की। अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने कहा कि धनराज बैद का अणुव्रत से लंबा जुड़ाव रहा है। मुमुक्षु धनराज बैद ने कहा कि अणुव्रत के बीज के बिना जीवन में महाव्रत नहीं आ सकता है। आज के भौतिकतावाद की चकाचैंध में जी रहे मनुष्य को यदि यह भान हो जाए कि हमें भी एक दिन सब कुछ यहीं छोड़कर चले जाना है तो यह दुनिया कुछ और हो जाए। कार्यक्रम का संचालन अणुविभा कार्यसमिति सदस्य प्रमोद घोड़ावत ने किया।
सम्मान समारोह में जीवन विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राकेश खटेड़ को जीवन विज्ञान पुरस्कार-2023 प्रदान किया। इसके तहत उन्हें स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र और एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। इससे पहले अणुविभा के मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा ने अपने वक्तव्य में जीवन विज्ञान की उपादेयता पर प्रकाश डालने के साथ ही राकेश खटेड़ का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। मुनि योगेश कुमार जी ने राकेश खटेड़ द्वारा पिछले दो-तीन दशकों में जीवन विज्ञान के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को रेखांकित किया। राकेश खटेड़ ने अपने वक्तव्य में जीवन विज्ञान को सभी के लिए समान रूप से उपयोगी बताया।