साध्वी अर्चनाश्री
जीवन सफल बनाओ।
शासनश्री शासन सेवा कर जबरो नाम कमायो।।
चंदेरी है जन्मभूमि गोलछा कुल ने चमकायो,
गुरु तुलसी रे कर कमलास्यूं, संयम रत्न स्वीकार्यो,
महाप्रज्ञ महाश्रमण कृपास्यूं संघ रो गौरव बढ़ायो।।
समता-क्षमता शांतमूर्ति आभामंडल हो प्यारो,
थांरे चरणां में कोई आतो बैठ्यो नहीं अघातो,
थारी पुनवानी स्यूं मैं तो सेवा शुभ अवसर पायो।।
तीन-तीन गुरुवांरी सेवा तन-मन स्यूं थे साझी,
शासनमाता री दृष्टि ने पल-पल थे आराधी,
छोटी-बड़ी सत्यांने थे तो साझ घणो दिरायो।।
आई अचानक इसी वेदना तन ने घणो सतायो,
भावां में फिर भी नहीं कदही टसकारो म्है पायो,
हरपल रेती स्वयं जागरूक, अंतिम अनशन थे पायो।।
महाप्रज्ञ री एकादशी, शुभ तारीख 9 पाई,
म्है सब करां मंगलकामना, मोक्ष पाओ सुखदाई,
दुगड भवन बीकानेर वासी पर कृपा वरसाओ।।
लय: संयममय जीवन हो---