अर्हम्

अर्हम्

अर्हम्

मोरी सतियांजी माने आज छोड़ किया चाल्याजी।
सहिष्णुता रा थे हो भंडार छोड़ किया चाल्याजी।।

चंदेरी रा चांव थे तो प्यारा घणा लागो।
भूल नहीं पायां म्हे आज छोड़---

अचानक आई थारे शारीरिक वेदना।
जुज्या थे दिन और रात, छोड़---

तीन-तीन गुरुवारी सेवा घणी साजी।
शासनश्री रो मिल्यो सम्मान छोड़---

धीरे-धीरे बोलता धीरे से समजावता।
रखता थे शिर पर हाथ, छोड़---

माईता री सेवा माने आच्छी घणी त्यागी।
कृपा कराई गुरु राज, छोड़---

लय: झीणी झीणी उडे रे गुलाल