अर्हम्
शासनश्री सति चांदकुमारी नाम कमायाजी।
सुखद संयमयात्रा तेरी नाम दीपायाजी।।
जन्मभू चंदेरी पाई चांद ज्यूं चमकी।
तुलसी गुरु से पाई दीक्षा संघ में दमकी।
संघ भक्ति---देखी अलबेली जीवन चमकायाजी।।
सहज सरल और नम्रता समता देखी भारी।
आभामंडल तेरा ओजस्वी जीवन नैया तारी।
सार्थक की---हर साँस पल-पल बाग खिलाया जी।।
शांतभाव से सही वेदना शिव सुख इकतारी।
भीतर का आलोक जगाकर खिली आतम क्यारी।
संस्कारों का---सींचन देकर साझ दिलायाजी।।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न है नाद रहा हर पल-पल।
मौन जप स्वाध्याय ध्यान में लीन रहे प्रतिपल।
अंतिम अनशन पूर्ण मनोरथ मंजिल पाया जी।।
लय: मेरा जीवन----