मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य बनाए मनाव : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य बनाए मनाव : आचार्यश्री महाश्रमण

कालबादेवी, 17 दिसंबर, 2023
अणुव्रत यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः कालबादेवी स्थित आचार्य महाप्रज्ञ विद्या निधि भवन पधारे। मुम्बादेवी पार्किंग कम्पाउंड में बने महाप्रज्ञ महाश्रमण समवसरण में परम पूज्यश्री ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हम मनुष्य हैं और मनुष्य होना बहुत बड़ी बात होती है। 84 लाख जीव योनियों में यह मानव जीवन बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इस मानव जीवन को प्राप्त करना विकास की भूमि को प्राप्त करना होता है।
जीवन तो सभी प्राणी जीते हैं। जीवन जीने का कोई लक्ष्य होना चाहिए। जैन आगमों में बताया गया है कि पूर्व कर्म का क्षय करने के लिए इस देह को धारण करें। आध्यात्मिक दर्शन में मोक्ष की बात आती है। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए अध्यात्म की साधना की अपेक्षा रहती है। साधुपन ग्रहण करना भी मोक्ष प्राप्ति का एक मार्ग है। गृहस्थ भी मोक्ष प्राप्ति की साधना कर सकता है। हम शरीर का पोषण करें और कर्मों का शोषण करें। गृहस्थ जीवन में धर्म की साधना करें। साधु के तो पाँच महाव्रत बताए गए हैं। गृहस्थों को अणुव्रतों की साधना करनी चाहिए। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों से जैन-अजैन सभी का जीवन अच्छा हो सकता है।
आज शिक्षा संस्थान बहुत उपयोगी हैं, जो ज्ञान विकास में अच्छी भूमिका निभाते हैं। इन शिक्षा संस्थानों में ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार भी दिए जाएँ। विद्यार्थियों का भावनात्मक विकास भी हो। हमारे जीवन में ज्ञान और आचार का अच्छा विकास हो, तो अच्छा व्यक्तित्व उसे माना जा सकता है। हमारा मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य बने। भले इस जन्म में मोक्ष संभव नहीं है, पर मोक्ष की दूरी तो कम की जा सकती है। हमें अहिंसा, संयम, तप और व्रतों की आराधना करने का प्रयास करना चाहिए। हम तेरापंथ धर्मसंघ से जुड़ें आचार्य भिक्षु के अनुयायी हैं। प्रभु के मार्ग पर हमारा जीवन समर्पित रहे और हम उस मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
आज साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का जन्म दिवस है। साध्वीप्रमुखाश्री खूब स्वस्थ रहें, अच्छी सेवा करती रहें। अनेक गणमान्य व्यक्तित्व भी आज पधारे हैं। राजनीति में भी अच्छा काम होता रहे।साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि इस दुनिया में सबसे दुर्लभ हैµमनुष्य जन्म का प्राप्त होना है। वह हमें प्राप्त है, इसका हम अच्छा लाभ उठाएँ। हम पूर्व कर्मों का क्षय करें। उसके लिए हम रत्नत्रयी की आराधना करें। हमें सब दुःखों से छुटकारा पाना है। पूज्यप्रवर ने आज जन्म दिवस पर आशीर्वचन फरमाया है। मैं निरंतर धर्मसंघ की सेवा करती रहूँ। पूज्यप्रवर द्वारा प्रदत्त जिम्मेदारी को बखुबी निभाती रहूँ। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में क्षेत्रीय सभाध्यक्ष गणपत डागलिया, ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने अपनी अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत की प्रस्तुति दी। महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर, कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने भी अपनी श्रद्धा भक्ति अभिव्यक्त की।