नया वर्ष

नया वर्ष

खुशियों की झोली भर करके, नया वर्ष यह आया है।
सपनों को साकार करो तुम, मानव जीवन पाया है।।

स्वप्न अधूरे जो छूटे हैं और बंधन जो भी टूटे हैं।
अनबन और उलझन के कारण, जो भी हमसे रूठे हैं।
सबका मन रखता है फिर भी अपने से शर्मिंदा हैं।
वास्तव में जो दिल की दौलत, लिए उसी के जिंदा हैं।
दिल की बातें तुझे सुनाने, नया संदेशा लाया है।।

करना यदि विषपान तुझे तो शिवशंकर भी बनना है।
बत्तीसी के इस घेरे में, रसना बनकर रहना है।
दूर हटेगी सब बाधाएँ, जिनमें हिम्मत होती है।
जो जाता है गहराई में, उज्ज्वल मिलते मोती हैं।
साहस का सम्मान करो तुम, मानव तन यह पाया है।।

मन की ख्वाहिश पूरी करने, नेक भावना सदा रखो।
जीवन में आगे बढ़ना तो सोच-समझकर कदम रखो।
मंजिल उनको ही मिलती जो जीवन में गतिमान रहे।
जग उनकी इज्जत करता जो शांत भाव से कष्ट सहे।
रजनी बीती रवि साथ में, नव प्रभात ले आया है।।

अरमानों के पंख सुनहरे, मन को सदा लुभाते हैं।
जैसे कर्म करेगा प्राणी, वैसे ही फल पाते हैं।
पल-पल का विश्लेषण करके आगे बढ़ते रहना है।
समय मित्र है सदा तुम्हारा, भला बुरा क्यों कहना है।
कालचक्र की महिमा गरिमा, कौन समझने पाया है।।