हम अपनी संस्कृति व संस्कारों के पहरेदार बनें
भगवान महावीर दीक्षा कल्याणक समारोह
दिल्ली।
साध्वी अणिमाश्री जी एवं समणी डॉ0 ज्योतिप्रज्ञा जी के सान्निध्य में अणुव्रत भवन में दिल्ली सभा एवं अणुव्रत न्यास के तत्त्वावधान में भगवान महावीर दीक्षा कल्याणक समारोह का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद लहरसिंह सिरोया मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि स्वदेश भूषण तथा मुख्य वक्ता जैन महासभा के महासचिव प्रो0 रतन जैन की उपस्थिति रही। श्वेतांबर तेरापंथी, मंदिरमार्गी, स्थानकवासी एवं दिगंबर चारों समाज के गणमान्य व्यक्तियों की विशिष्ट उपस्थिति रही।
साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि भगवान महावीर का जीवन अध्यात्म की साधना का उत्तुंग शिखर है। आज ही के दिन उन्होंने संयम-साधना का प्रारंभ सिद्धि के संकल्प के साथ किया। संयम की साधना जीवन जीने की आध्यात्मिक कला है। यही संयम साधना हमें स्वस्थ, संतुलित, ऊर्जावान और दिव्य चेतना का संवाहक बनाती है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें जैन संस्कृति में पल्लवित एवं पुष्पित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि आज हमारे संस्कारों का ह्रास हो रहा है। खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, चाल-चलन बदलते नजर आ रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति का संवर्धन व पोषण करना है। शादी गृहस्थ जीवन का पवित्र संस्कार है। आज भारत से बाहर जाकर शादी करने का प्रचलन बढ़ रहा है। शादी जैसे पवित्र संस्कार अपनी धरती पर अपने आकाश की साक्षी में होने चाहिए। साध्वीश्री जी के इस आह्वान पर सैकड़ों व्यक्तियों ने विदेश जाकर शादी न करने एवं विदेश में होने वाली शादी में शामिल न होने का संकल्प लिया।
राज्यसभा सांसद लहरसिंह सिरोया ने कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्य, संयम का सिद्धांत दिया। यह महावीर वाणी अगर जन-जन के जीवन में उतर गई तो जीवन धन्य बन जाएगा। मुख्य वक्ता प्रो0 रतन जैन ने कहा कि आज हम महावीर के सिद्धांतों की तो चर्चा कर रहे हैं किंतु उन सिद्धांतों को अमलीजामा नहीं पहना पा रहे हैं। जब तक जीवन में नहीं उतारेंगे तब तक रूपांतरण घटित नहीं होगा। डॉ0 समणी ज्योतिप्रज्ञा जी ने कहा कि भगवान महावीर का संयम अनुत्तर था। उन्होंने आहार संयम की साधना की। निद्रा विजय की साधना की। आज हम एक संकल्प अवश्य करें कि हम दिन में चार बार से ज्यादा नहीं खाएँगे।
साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी एवं साध्वी समत्वयशा जी ने अपने भावों की प्रस्तुति वक्तव्य व गीत के माध्यम से दी। डॉ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने मंच संचालन किया। दिगंबर समाज से स्वदेश भूषण, महावीर मेमोरियल के उपाध्यक्ष संपत नाहटा, मंत्री विपिन जैन, अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का प्राक् संचालन दिल्ली सभा के मंत्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।