आशा की अंतिम किरण तक हो सफलता के लिए पुरुषार्थ: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आशा की अंतिम किरण तक हो सफलता के लिए पुरुषार्थ: आचार्यश्री महाश्रमण

नव वर्ष के मंगल दिन पर पूज्यप्रवर का मंगल पाथेय

चेम्बूर, 1 जनवरी, 2024
1 जनवरी, 2024 नववर्ष का मंगल दिन। आज से शुरू होने वाला 2024 का वर्ष संपूर्ण प्राणी जगत् के लिए मंगलमय हो। सभी आध्यात्मिक क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति करते रहें। तेरापंथ के महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने सन् 2024 के प्रथम दिवस के पावन क्षणों में मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि समय में कहा गया हैµमनुष्य जन्म दुर्लभ है। समय शब्द अनेक अर्थो वाला हो सकता है। समय का एक अर्थ हैµआगम। जैन दर्शन में काल की लघुत्तम ईकाई को समय बताया गया है। उस समय को पकड़ना हमारे लिए संभव नहीं है। शास्त्र में कहा गया है कि मनुष्य जन्म दुर्लभ है। चौरासी लाख जीव योनियों में मानव जन्म मिलना भाग्य की बात होती है। मानव जन्म भी ऐसी जगह जहाँ धर्म का माहौल हो, शास्त्रों की वाणी श्रवण को मिले, आर्य क्षेत्र हो, साधु-संतों का आना-जाना हो तो और उत्तम बात हो जाती है।
हमें मानव जन्म मिला है परंतु यह भी बीत रहा है। 2023 आया था तब सभी ने मनाया होगा। विदाई भी इस रूप में हो गई की पुनः हमारे जीवन में वापस आने वाला नहीं है। समय बीत जाता है, वह लौटकर नहीं आता। शास्त्र में कहा गया है कि जो-जो रात्रियाँ बीत रही है, वे लौटकर वापस नहीं आती। धर्म करने वाले की रात्रियाँ सफल हो जाती हे। अधर्म-पाप करने वाले का समय दुष्फल हो जाता है। सन् 2024 का समागमन हो गया हे। आज का वर्तमान कल अतीत बन जाता है और आज का भविष्य कल वर्तमान बन जाता है। 1 जनवरी, 2024 का पहला सूर्योदय हो चुका है। यह वर्ष सबके लिए मंगलमय हो। हमारी वांछित कामनाएँ पूर्ण रूप से पूरी हो जाए, जरूरी नहीं है। हमारा यह समय कल्याण-शुभ भावों में बीते। हम स्वयं अपने लिए व दूसरों के कल्याण के लिए प्रयास करते रहें।
जैन दर्शन के अनुसार एक अवसर्पिणी काल और उत्सर्पिणी काल में 24-24 तीर्थंकर होते हैं। वर्तमान अवसर्पिणी काल में भगवान ऋषभ प्रथम तीर्थंकर एवं भगवान महावीर अंतिम चौबीसवें तीर्थंकर हुए हैं। मंगलपाठ पवित्र आगम वाणी है। इसका स्मरण, श्रवण व उच्चारण करना अच्छा कार्य है, हम सभी यह करें। मंगल वाणी के साथ अहिंसा, संयम और तप भी जुड़ा रहे। नववर्ष के नए संकल्प के रूप में पूज्यप्रवर ने विशेषतः किशोरों एवं कन्याओं को जयाचार्य द्वारा रचित चौबीसी कंठस्थ करने एवं नियमित चितारने की प्रेरणा प्रदान की। पूज्यप्रवर ने आगे फरमाया कि हम मंगल का प्रयास करें कि जीवन में मंगल रहे। अच्छे कार्य में विघ्न-बाधाएँ आ सकती हैं, पर जल्दी से निराश या भयभीत न हो। पुनः पुरुषार्थ करें। जब तक आशा है, सफलता के लिए पुरुषार्थ करते रहें। दूसरों की आध्यात्मिक, धार्मिक सेवा करते रहें। स्वाध्याय से स्व-पर कल्याण करते रहें।
कार्यक्रम में उपस्थित भारत सरकार के संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन मेघवाल को भी पूज्यप्रवर ने शुभ संकल्प ग्रहण करने एवं आध्यात्मिक-धार्मिक सेवा करने की पावन प्रेरणा प्रदान की।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि नए वर्ष के नए दिन का सबका आकर्षण होता है। लोगों में भौतिकता के प्रति आकर्षण होता है साथ ही अध्यात्म के प्रति भी आकर्षण होता है। हम नए वर्ष में भगवान महावीर के जागृति एवं मैत्री के सिद्धांतों के साथ प्रवेश करें। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि मंगल दिवस पर मंगल पुरुष की सन्निधि चेम्बूरवासियों को प्राप्त हो रही है। आज के दिन हम अपना लक्ष्य निर्धारित करें, अच्छा इंसान बनने का प्रयास करें। जीवन मेंHonesty, Humanity और Humility को स्थान देंगे तो जीवन Happy, Healthy और Harmonius बन सकता है।
मुख्यमुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि जो क्षण को जानता है वह पंडित होता है। रोज चिंतन करना चाहिए कि मैंने आज सुकृत क्या किया। सम्यक् पुरुषार्थ ही हमें अप्रमत्तता के भाव दे सकता है। धीर पुरुष क्षण-भर भी प्रमाद नहीं करते। हम समय का दुरुपयोग न करें। भारत सरकार के मंत्री अर्जुन मेघवाल ने अपने विचार व्यक्त किए। गुरुदेव तुलसी के दीक्षा दिवस पर पूज्यप्रवर ने अपनी श्रद्धा भक्ति अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।