जीवन में क्षमा धर्म की करें आराधना : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में क्षमा धर्म की करें आराधना : आचार्यश्री महाश्रमण

गोवंडी, 2 जनवरी, 2024
पंच दिवसीय चेम्बूर का प्रवास संपन्न कर महातपस्वी महामनस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः गोवंडी पधारे। जन-जन को आगम वाणी का रसास्वाद कराते हुए महायोगी ने फरमाया कि ‘खामेमि सव्व जीबे’µएक ऐसा श्लोक है जो दिन-रात में अनेक बार स्मरणीय, पठनीय और उच्चारणीय होता है। श्रमण प्रतिक्रमण और अर्हत् वंदना में भी यह श्लोक अंगभूत बना हुआ है। इस एक श्लोक में क्षमा और मैत्री की बात सन्निहित है। मैं सब जीवों को क्षमा करूँ और सभी जीव मुझे क्षमा कर दें। सब प्राणियों के साथ मेरी मैत्री है, किसी के साथ मेरा वैर नहीं है। संवत्सरी महापर्व भी क्षमा और मैत्री के साथ जुड़ा हुआ है।
हम मनुष्य हैं, दुर्लभ मानव जीवन हमें प्राप्त है। इस मानव जीवन में मैत्री का भाव सभी के साथ रखें। समर्थ होने पर ही क्षमावान होना बड़ी बात है। क्षमा रूपी खड़ग जिसके हाथ में है, उसका दुर्जन क्या कर पाएगा। क्षमा उत्तम धर्म है। परिवार में भी क्षमा, सहिष्णुता का भाव रखें, तत्काल प्रतिक्रिया से बचें। हम जीवन में क्षमा धर्म की साधना करने का प्रयास करें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि यह जीवन रत्न के समान अमूल्य है। उसे अच्छा बनाने और निखारने का प्रयास करें। हमें मनुष्य जन्म प्राप्त है। जीवन को वेस्ट भी बना सकते हैं तो बेस्ट भी बना सकते हैं। गुरु की सन्निधि में आकर अपनी नकारात्मकता और निराशा को दूर करने का प्रयास करें।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्वागताध्यक्ष रमेश बोहरा, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं, महिला मंडल एवं तेयुप द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। श्री नारायण गुरु स्कूल ट्रस्टी ओ0के0 सर ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ किशोर मंडल के सदस्यों ने गीत का संगान कर पूज्यप्रवर से आत्महत्या नहीं करने का संकल्प स्वीकार किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।