दो धाराओं का मिलन

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दो धाराओं का मिलन

साउथ कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के दर्शनार्थ सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य सुधांशु महाराज टैंगड़ा स्थित एक्टिव एकर पहुँचे। इस अवसर पर महासभा के मुख्य न्यासी सुरेश गोयल, साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़िया, उपाध्यक्ष प्रमोद दुगड़, मंत्री कमल सेठिया आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि दुनिया में तीन शक्तियाँ बहुत प्रचलित हैं-अध्यात्म, सत्ता व धन की। इन तीनों में सर्वश्रेष्ठ शक्ति अध्यात्म की शक्ति है। अध्यात्म का अर्थ है-आत्मभाव में रहना व अपने स्वरूप को जानना। आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अहिंसा यात्रा के जरिए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का संदेश दिया है। ये सूत्र अध्यात्म के विकास के लिए बहुत जरूरी है। आज सुधांशु महाराज के आगमन से दो धाराओं का मिलन
हुआ है। आप आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी से परिचित रहे हैं। विशिष्ट व्यक्तियों के मिलन व बातचीत से देश को नई दिशा मिल सकती है। संत समाज के उत्थान के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। इस अवसर पर आचार्य सुधांशु महाराज ने कहा कि वे व्यक्ति सौभाग्यशाली होते हैं, जिन्हें मुनि जनों का संग मिल जाता है। भगवान महावीर का मार्ग तपस्या का मार्ग है। इस कलियुग में तपस्या करने वाले जैन धर्म में ही दिखाई देते हैं। जैन अद्भुत ढंग से तपस्या करते हैं। वह केवल आदर्श ही नहीं अपितु एक ऊँचाई है। जैन धर्म में क्षमापर्व को बहुत अधिक महत्त्व दिया गया है। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत का महान कार्य किया। अणुव्रत से नवक्रांति का शुभारंभ होता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान का जो कार्य किया वह बहुत वैज्ञानिक तरीके से किया। उन्होंने अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय किया। डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम उन्हें बहुत मानते थे। जो मन को भी हिलाए और दिल को भी हिला दे ऐसी शक्ति को आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं। मुनिजनों का संग कर आज मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं आपका अभिनंदन करता हूँ। मुनि परमानंद जी ने विचार व्यक्त किए।
साउथ सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़िया ने आचार्य सुधांशु महाराज का स्वागत किया। इस अवसर पर सभा द्वारा आचार्य सुधांशु महाराज का साहित्य एवं पचरंगी दुपट्टे से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की समायोजना में महासभा के मुख्य न्यासी सुरेश गोयल का योगदान रहा।