उपशम से क्रोध को जीतने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

उपशम से क्रोध को जीतने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

चेम्बूर, 30 दिसंबर, 2023
युगप्रधान, महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे भीतर अनेक वृत्तियाँ हैं। सामान्य आदमी में कुछ अच्छाइयाँ भी देखने को मिल सकती हैं, उसमें कुछ कमजोरियाँ भी हो सकती हैं। यत्किंचित अच्छाई तो हर आदमी में मिल सकती है। जो कमजोरियाँ हैं उन्हें आदमी कम करने का यथासंभव प्रयास करता रहे। आदमी की कमजोरी है कि उसे जल्दी गुस्सा आ जाता है। उसका बुरा परिणाम हो सकता है। गुस्सा भी मंद, मध्य और तीव्र इन तीनों रूपों में हो सकता है। मोहनीय कर्म के उदय से गुस्सा आ जाता है और वो विवेक पर पर्दा डाल देता है, कभी-कभी गुस्सा कम होने पर आदमी पश्चात्ताप भी कर लेता है। वाणी पर लगाम लगाने का प्रयास हो।
कई साधक बड़े शांत स्वभाव के हो सकते हैं। गृहस्थों को गुस्सा कम करने का प्रयास करना चाहिए। गुस्से से व्यक्ति के जीवन-परिवार में कलह की स्थिति हो सकती है। बड़ी से बड़ी या कड़ी से कड़ी बात हो शांति से कहना चाहिए। समभाव में रहना चाहिए। आत्मा की दृष्टि से गुस्से से कर्मों का बंध हो सकता है। ईंट का जवाब पत्थर से नहीं फूलों से, कोमलता से दें। गलती हो जाए तो उसका सुधार करें। फालतू बातों पर ध्यान न दें। जल्दी आक्रोश में नहीं आना चाहिए। गुस्सा एक कमजोरी है। धैर्यशील व्यक्ति गुस्से में प्रतिक्रिया नहीं करता। निंदा का जवाब अपने अच्छे कार्यों से देता है।
विरोध में निराश न हों। सहनशीलता आदमी का गुण होता है। क्षमा वीरों का भूषण होता है। परम पूज्य आचार्य भिक्षु और आचार्य श्री तुलसी का कितना विरोध हुआ था पर वे शांत रहे थे। आवेश में आना या घबराना भी कमजोरी है। क्रोध प्रीति का नाश करने वाला होता है। हम उपशम से क्रोध को जीतने का प्रयास करें, यह काम्य है। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में एन0जी0 आचार्य कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ0 विद्या गौरी लेले, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी। महिला मंडल ने गीत के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।