पार्श्वनाथ जयंती का आयोजन

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पार्श्वनाथ जयंती का आयोजन

शालीमार बाग।
शालीमार बाग, गोयल भवन में भगवान पार्श्वनाथ का जन्मोत्सव मनाया गया। शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि जैन जगत में सर्वाधिक मंत्र स्तोत्र स्तवन पार्श्वनाथ के हैं। भारत के अतिरिक्त विदेशों में भी पार्श्व युग में जैन धर्म फैला हुआ था। भगवान पार्श्व ने लंबी-लंबी यात्राएँ की थीं। आप एक बार ध्यान मुद्रा में स्थित थे। वहाँ पर कमठ तापस जो आपका घोर विरोधी था वह मरकर मेघमाली देव बना। भगवान पर मुसलाधार वर्षा बरसाई। गले तक पानी आ गया। आपकी सेवा में रत धरणेंद्र पद्मावती देव युगल उपस्थित हुए। भगवान के ऊपर छत्र और नीचे सिंहासन की विकुर्वणा की। भगवान को कोई तकलीफ नहीं हुई। आप सर्वातिशायी संपन्न थे। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी द्वारा समुच्चारित गीत से हुआ। शासनश्री साध्वी सुव्रताजी ने भगवान पार्श्वनाथ के चरण कमलों की छह विशेषताएँ के बारे में बताया। कई व्यक्तियों ने पार्श्वनाथ जयंती के उपलक्ष्य में उपवास, आयंबिल व एकासन किए।