ज्ञान, दर्शन और तप की चेतना प्रवर्धमान रहे

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ज्ञान, दर्शन और तप की चेतना प्रवर्धमान रहे

दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने दिल्लीवासियों को सतत ज्ञान, दर्शन और तप की त्रिवेणी में अभिस्नात करने की प्रेरणा दी। लगभग एकादश माह के सफल और ऐतिहासिक दिल्ली प्रवास के पश्चात दिल्ली से विहार करने से पूर्व आयोजित मंगलभावना समारोह में मुनिश्री ने दिल्लीवासियों को संघ और संघपति के प्रति समर्पित रहते हुए एक ओर जहाँ वैयक्तिक साधना में सामायिक, जप, तप, स्वाध्याय और सेवा के माध्यम से निर्जरा करने का आह्वान किया, वहीं दूसरी ओर सभी को महत्त्वपूर्ण संघीय कार्यक्रमµज्ञानशाला, उपासक श्रेणी, प्रेक्षाध्यान आदि के माध्यम से संघ सेवा का आह्वान किया। ज्ञातव्य है मुनिश्री की विशेष प्रेरणा से दिल्ली में ज्ञानशालाओं का गठन, उपासक श्रेणी का विस्तार और छः मासखमण सहित अनेकों बड़ी तपस्याएँ हुई। मुनिश्री के सहवर्ती संत मुनि नमिकुमार जी ने दस माह में छः मासखमण सहित बड़ी तपस्या करने का कीर्तिमान गढ़ा।
मुनि कमल कुमार जी ने उग्रविहार करते हुए संघीय प्रभावना वृद्धि करने वाले अनेक ऐसे कार्यक्रमों में सान्निध्य प्रदान किया, जिनमें दिगंबर आचार्य, स्थानकवासी संत, मंदिरमार्गी आचार्य आदि की उपस्थिति से तेरापंथ की विशेष प्रभावना हुई।
मंगलभावना समारोह को संबोधित करते हुए दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने मुनिश्री के दिल्ली प्रवास को विशिष्ट और विरल बताते हुए आचार्यप्रवर के प्रति ऐसा प्रभावक चातुर्मास प्रदान करने के लिए संपूर्ण दिल्लीवासियों की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित की। मुनि नमि कुमार जी व मुनि अमन कुमार जी ने दिल्ली प्रवास को प्रभावी व उपलब्धि भरा बताया। अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन, गांधीनगर सभा अध्यक्ष कमल गांधी, सभा अध्यक्ष संजीव जैन, मंत्री मनोज मुसरफ, दक्षिण दिल्ली के अध्यक्ष हीरालाल गेलड़ा, महिला मंडल की अध्यक्षा शिल्पा बैद (दक्षिण), सरोज सिवानी (पूर्वी दिल्ली), पूर्व अध्यक्ष मंजु जैन, दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष बाबूलाल दुगड़, पूर्व महामंत्री डालमचंद बैद आदि ने मुनिश्री के प्रवास को दिल्ली के तेरापंथ के इतिहास के स्वर्णाक्षर स्वरूप बताते हुए मुनिप्रवर के सुखे-सुखे विहार की कामना की। तेयुप का प्रतिनिधित्व हेमराज राखेचा ने, अणुव्रत की ओर से शांतिलाल पटावरी, श्रावक समाज की ओर से जीवनमल नाहर, तेममं पूर्व अध्यक्ष मंजु जैन, सेवा प्रभारी मनोज सुराणा आदि ने भावाभिव्यक्ति दी। मुनिश्री गुरुग्राम-जयपुर होते हुए मुंबई की ओर अग्रसर हैं।