
भगवान महावीर की अहिंसा व भगवान बुद्ध की करुणा से ही विश्व शांति संभव
नई दिल्ली।
मुनि कमल कुमार जी ने महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर व अध्यात्म साधना केंद्र के संयुक्त तत्त्वावधान में महाकरुणा दिवस के अवसर पर अध्यात्म साधना केंद्र के भिक्षु सभागार में कहा कि भगवान महावीर व भगवान बुद्ध दोनों समकालीन थे। दोनों ने दीर्घकालीन ध्यान साधना से ज्ञान प्राप्त किया। उनका कथन सम भी कहा जा सकता है। भगवान महावीर ने अहिंसा का उपदेश दिया। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। भगवान बुद्ध ने करुणा का उपदेश दिया। क्रूर व्यक्ति कभी अपना और दूसरों का कल्याण नहीं कर सकता। अगर व्यक्ति में अहिंसा और करुणा की चेतना का जागरण हो जाए तो आज घर, परिवार, समाज, देश और विश्व में तनाव, टकराव, अलगाव, बिखराव की समस्या नहीं हो सकती।
महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन के फाउंडर चेयरमैन भिक्षु संघसेना ने कहा कि मनुष्य बदलने की प्रवृत्ति के कारण सबसे श्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। पशुओं में बदलने की प्रवृत्ति नहीं होती, इसी कारण उसका विकास नहीं हुआ है। मनुष्य की श्रेष्ठता का कारण है कि वह बाहर और भीतर से भी बदलता है। मनुष्य का दृष्टिकोण व चिंतन भी बदल रहा है। व्यक्ति में बाहर से बहुत बदलाव आ गया है। आवश्यकता है कि व्यक्ति भीतर से भी बदले, चेतना जागृत में परिवर्तन आए। अध्यात्म साधना केंद्र के निदेशक व प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन ने सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि जैन परंपरा की अहिंसा, बौद्ध परंपरा की करुणा और इसी प्रकार सनातन, सिख व इस्लाम आदि धर्मों में जो संसार में प्राणी मात्र के प्रति प्रेम भाव की प्रेरणा दी गई है वह प्रकृति का शाश्वत और सार्वभौम नियम है। व्यक्ति के परिवर्तन का सूत्र अध्यात्म में मिलता है। अध्यात्म साधना केंद्र में भगवान महावीर की अहिंसा व बुद्ध की करुणा का संगम देखने को मिल रहा है।
पुदुच्चेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने कहा कि जिस व्यक्ति में धैर्य और वीर्य है वह धर्म पर डट सकता है। व्यक्ति अपनी आत्मा पर अनुशासन, शरीर पर अनुशासन रखे तो उसके मन और शरीर के द्वारा कोई गलत प्रवृत्ति नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि विपश्यना ध्यान के द्वारा हृदय परिवर्तन संभव है यह उन्होंने अपने कार्यकाल में जेलों में जब ध्यान के कार्यक्रम हुए तो हजारों कैदियों में परिवर्तन होते हुए देखा। इसलिए ध्यान वर्तमान का एक प्रमुख अंग होना चाहिए। इस अवसर पर म्यांमार के राजदूत मोय केयो अंग, भूटान के राजदूत वेटसोप नेमोजियल, डॉ0 उमर अहमद इलयासी, गोस्वामी सुशील गोस्वामी महाराज, स्वामी सर्वलोकानंद महाराज, परमजीत चंडोक, मौलाना कुतुब मुजतबा साहिब, डॉ0 प्रिया, डॉ0 ए0के मर्चेन्ट, सुखराज सेठिया, प्रमोद जैन, अनिल जैन, सुशील राखेचा, सुशील बोथरा, एस0सी0 जैन, डालमचंद बैद, शिल्पा बैद सहित कई महानुभाव कार्यक्रम में उपस्थित थे।