मासखमण तप अभिनंदन

मासखमण तप अभिनंदन

कोयंबटूर
मुनि सुधाकर जी ने तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में आयोजित राजू देवी पुगलिया के मासखमण अभिनंदन समारोह में कहा कि तपस्या साधना और सफलता का मूल है। तपस्या के बिना कोई साधना सफल नहीं हो सकती। सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए छोटे-बड़े निराहार तप के प्रयोग भी जरूरी हैं। विश्‍व में जितने भी विचारक और प्रतिभा संपन्‍न महापुरुष हुए हैं उन्हांने खाने की आसकित का परित्याग किया है। तपस्या आत्मा शुद्धि और मानसिक शांति का प्रमुख साधन है। मुनि सुधाकर जी ने आगे कहा कि राजू देवी पुगलिया ने मासखमण कर आत्मबल, मनोबल और संकल्पबल का महान परिचय दिया है। पुगलिया परिवार धर्म और धर्मसंघ के प्रति पूर्ण समर्पित परिवार है।
मुनि नरेश कुमार जी ने कहा कि राजू देवी पुगलिया ने शुगर की समस्या होते हुए भी मासखमण करके यह बता दिया है कि तपस्या हर आधि, व्याधि व उपाधि का समाधान है एवं इससे समाधि मिलती है। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष प्रेमचंद सुराणा एवं तेयुप मंत्री रोहित चोरड़िया ने अपने वक्‍तव्य द्वारा तपस्वी का अभिनंदन किया। महिला मंडल अध्यक्ष मंजु गीडिया एवं सदस्यों द्वारा सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की गई। तपस्वी बहन के परिवार से मंजु कोटेचा, पुत्रवधू इंद्रा पुगलिया, पौत्रवधू शिखा पुगलिया, पौत्र कुशाल पुगलिया, सरिता चोरड़िया, मधु चोरड़िया ने अपने विचार रखे। विनोद लुणिया ने अन्य चारित्रात्माओं से प्राप्त संदेश का वाचन किया। सभा के उपाध्यक्ष प्रकाश बोथरा ने साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी से प्राप्त संदेश का वाचन किया। अंत में मुनिश्री ने राजू देवी पुगलिया को तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। कार्यक्रम का संचालन कन्या मंडल संयोजिका ख्याति सेमलानी ने किया।