शिक्षण संस्थान शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी देने का प्रयास करें : आचार्यश्री महाश्रमण
पूज्यप्रवर की सन्निधि में अणुव्रत गीत महासंगान का आयोजन
ठाणा, 18 जनवरी, 2024
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी द्वारा प्रणीत अणुव्रत आंदोलन अपने 75वें वर्ष में चल रहा है। वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने इस वर्ष को अणुव्रत का अमृत महोत्सव वर्ष घोषित कर रखा है तथा उनकी अणुव्रत यात्रा भी चल रही है। अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष में 18 जनवरी, 2024 को अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में देश-विदेश में अणुव्रत गीत महासंगान का विराट आयोजन किया गया, जिसमें लाखों लोगों ने अणुव्रत गीत का संगान किया।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि धर्म को उत्कृष्ट बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप मंगल धर्म हैं। यदि सभी लोग साधुत्व की साधना न भी कर सकें तो अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों को स्वीकार कर अपने गृहस्थ जीवन को भी धर्म से भावित बना सकते हैं। परमपूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया जो आज भी निरंतर गतिमान है। आचार्यप्रवर ने कहा कि आज का मूल कार्यक्रम अणुव्रत गीत का संगान है। मैं खड़ा होकर इस गीत को गाना चाहता हूँ। ऐसा कहते हुए आचार्यश्री पट्ट से नीचे उतरे तो उपस्थित श्रद्धालु, विद्यार्थी व गणमान्य व्यक्ति भी खड़े हो गए और फिर आचार्यश्री के संग आरंभ हुआ अणुव्रत गीत का महासंगान। इस दौरान अणुव्रत गीत में निहित संदेशों से पूरा वातावरण गूंजायमान हो गया। अणुव्रत गीत के महासंगान के उपरांत आचार्यश्री ने अणुव्रत उद्घोष का उच्चारण भी करवाया।
शिक्षा मंत्री दीपक केशरकर ने कहा कि आचार्यश्री पूरे विश्व में शांति का संदेश देने के लिए पदयात्रा करवा रहे हैं। अजय आसर ने कहा कि आचार्यश्री जी अणुव्रत के माध्यम से सद्भावना और नशामुक्ति की भावना आगे बढ़ा रहे हैं। इस गीत का रोज संगान करने से हमारे जीवन में अनुशासन आ सकता है। अणुव्रत गीत महासंगान के संयोजक महेंद्र बागरेचा ने विद्यार्थियों का आभार प्रकट करते हुए तेरापंथ धर्मसंघ की जानकारी दी। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में परम पावन ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी के जीवन में शिक्षा का बहुत महत्त्व होता है। क्योंकि शिक्षा के द्वारा हमें ज्ञान प्राप्त होता है। ज्ञान एक प्रकार का प्रकाश होता है। कैसे जीवन जीना, कैसे आगे बढ़ना, यह मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
विद्यार्थी विद्यालयों-विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं। पढ़ने का उद्देश्य हैµज्ञान प्राप्त करना, लर्निंग तथा अर्निंग। साथ में संस्कार भी अच्छे आएँ। शिक्षण संस्थान शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी देने का प्रयास करें। अणुव्रत गीत में बहुत अच्छी संस्कारों की बातें आ गई हैं। इससे भाव-परिवर्तन हो सकता है। साध्य को पाने के लिए साधन की शुद्धता भी हो। अहिंसा और संयम जीवन में रहे। कायरतापूर्ण अहिंसा न हो। शौर्य और अभय के साथ अहिंसा हो। अणुव्रत की आचार संहिता सबके लिए उपयोगी है। मानव मात्र का कल्याण हो सकता है। इससे हम स्वर्ग को ही धरती पर ला सकते हैं। अणुव्रत की भावना और अणुव्रत के संकल्प जन-जन में आएँ। ताकि सबकी आत्मा अच्छी बने और समाज, राष्ट्र और विश्व भी अच्छा बने।
मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि व्यक्ति दूसरों को दुखी देखकर कभी स्वयं सुखी नहीं हो सकता। जो व्यक्ति प्रामाणिक होता है, उसे सुख प्राप्त हो सकता है। पूज्य गुरुदेव तुलसी ने नैतिक मूल्यों और मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठापना के लिए अणुव्रत का प्रचार-प्रसार किया था। सन् 1967 चातुर्मास में अहमदाबाद में गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत गीत की रचना की थी। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि कुछ गीतों का सामाजिक मूल्य होता है लेकिन कुछ गीत शाश्वत होते हैं, जिनमें मूल्यों के बारे में बताया जाता है। अणुव्रत गीत जो गुरुदेव तुलसी द्वारा रचित है, इसकी प्रासंगिकता पहले भी थी और आज भी है। हम इस गीत की आत्मा को समझें। व्यक्ति स्वयं पर स्वयं का अनुशासन करे। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि आदमी वह होता है, जिसमें इंसानियत, मानवीयता होती है। अणुव्रत हमें इंसानियत का पाठ सिखाता है। हमारे भीतर अच्छे संस्कार आएँ। हमारी इच्छाओं का परिमाण हो। जो व्यक्ति संस्कारों से उन्नत होता है, वह अपने को उच्च बना सकता है।
अणुव्रत आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मनन कुमार जी ने कहा कि इस महासंगान का उद्देश्य था कि आने वाली पीढ़ी व्यवस्थित हो, संस्कारित हो, जिससे हमारा भविष्य उज्ज्वल बन सकेगा। मानवाधिकार आयोग के जस्टिस के0के0 तातेड़, ठाणे सभाध्यक्ष पवन ओस्तवाल, अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर, अणुविभा के मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा, भीखमचंद सुराणा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।