तीन दिवसीय बाल संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन
तिरुवन्नामलाई।
साध्वी डॉ0 गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में एवं तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में तीन दिवसीय बाल संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन किया गया। तेरापंथ एवं जैन समाज के अनेक बच्चों ने भाग लिया। डॉ0 साध्वी गवेषणाश्रीजी ने कहा कि बच्चे देश के कर्णधार हैं। बच्चों का स्वर्णिम भविष्य ही देश का शुभ भविष्य है। बच्चे कोरे कागज की तरह होते हैं और उनके माता-पिता एक अच्छे, सुंदर चित्रकार होते हैं तथा जो चाहें चित्र बना सकते हैं। बच्चों के लिए पहली प्राथमिकता उनके माता-पिता होते हैं।
ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का मूल्यों के निर्माण का एक बड़ा माध्यम है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि जीवन की तीन अवस्थाएँ होती हैं, जिनमें पहली अवस्था है-बाल्यावस्था। यह चरण ज्ञान प्राप्त करने का है। एक बच्चा बचपन में जो सीखता है, वही उसके भविष्य को आकार देता है। बच्चे को कृष्ण या कंस, भगवान या कुत्ता, प्रभु या पशु बनाना माता-पिता के हाथ में है।
साध्वी दक्षप्रभा जी ने बच्चों के संस्कार संबंधित सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। सभा अध्यक्ष महावीर सेठिया ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मेरूप्रभा जी ने किया। घृति, प्रगति सेठिया, प्रशिक्षक नयना सेठिया ने विचार व्यक्त किए। प्रशिक्षण में साध्वीवृंद के अलावा खुशबू, सुरभि, नयना सेठिया, आशा पीपाड़ा आदि ने भी सहयोग किया।