20वीं सदी के देदीप्यमान दीवाकर थे आचार्य तुलसी

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20वीं सदी के देदीप्यमान दीवाकर थे आचार्य तुलसी

नारनौंद

आचार्यश्री तुलसी जी की पुण्यतिथि का आयोजन शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ भवन के तत्त्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री जी के नमस्कार महामंत्र से हुआ।
सभा के उपाध्यक्ष हनुमान प्रसाद जैन ने सभी आगंतुकों का स्वागत भाषण से किया। महिला मंडल की अध्यक्षा सुमन जैन ने आचार्य तुलसी जी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। साध्वी कुंथुश्री जी ने विशाल अध्यात्म परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि विश्‍व क्षितिज पर अनेक महापुरुष अवतरित हुए। उनमें एक अभिधान गौरव से लिया जाता है आचार्यश्री तुलसी। वे विराट व्यक्‍तित्व के धनी थे। तेरापंथ के नवमाधिशास्ता विश्‍व की विरल विभूति थे। आचार्य तुलसी 20वीं सदी के देदीप्यमान दीवाकर थे। अलौकिक राष्ट्रसंत थे, जिन्होंने धर्मावृत्ति की नैतिक मूल्यों की स्थापना कर अणुव्रत का शंखनाद किया। पाँव-पाँव चलकर विश्‍व को चमकाया। जन-कल्याण के लिए अणुव्रत नया मोड़ विसर्जन समण श्रेणी आदि अनेक महत्त्वपूर्ण अवदान दिए। मानवता के दीप जलाए, युग-युग आभारी रहेगा। यह तेरापंथ समाज, जैन समाज, समस्त मानव समाज युगपुरुष युग-प्रधान आचार्य तुलसी श्रद्धा की पुण्यतिथि पर मेरा भावभरा नमन।
साध्वी कंचनरेखा जी ने आचार्य तुलसी को एक क्रांतिकारी आचार्य बताया। साध्वी सुमंगला जी, साध्वी सुलभयशा जी भगिनीद्वय ने सुमधुर गीत से श्रोताओं का ध्यान आकर्षित कर लिया।
प्रिया जैन एवं प्रियंका और शालू ने गीतिका प्रस्तुत की। जींद से समागत राजेश जैन, कुणाल जैन, नरेश जैन, मास्टर नारायण सिंह जैन, महिला मंडल अध्यक्षा कांता जैन, सभाध्यक्ष खजानचंद जैन आदि वक्‍ताओं ने गुरुदेव तुलसी जी के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि समर्पित की।
स्थानीय घनश्याम जैन, सीमा बुलेटिन संपादक, सभाध्यक्ष राजबीर जैन ने श्रद्धासिक्‍त भाव प्रस्तुत किए। आभार व्यक्‍त रामनिवास जैन ने किया। कार्यक्रम में जैन-अजैन सभी वर्ग के भाई-बहन उपस्थित हुए।
कार्यक्रम को सफल बनाने में हनुमान जैन, सुमन जैन व राहुल जैन, कृष्ण जैन, देवेंद्र व्यास आदि का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन देवेंद्र व्यास ने किया। मंगलपाठ से कार्यक्रम संपन्‍न हुआ।