पके हुए पत्ते सा है मनुष्य का जीवन : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

पके हुए पत्ते सा है मनुष्य का जीवन : आचार्यश्री महाश्रमण

मुम्ब्रा, 29 जनवरी, 2024
मुंबई की उपनगरीय यात्रा में अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः मुम्ब्रा पधारे। महायोगी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे शास्त्रों में सुभाषित अच्छी शिक्षाएँ प्राप्त होती हैं। पृथ्वी पर तीन रत्न हैंµजल, अन्न और सुभाषित। जल और अन्न का जीवन में बहुत महत्त्व है, इनके बिना जीवन यापन करना मुश्किल हो सकता है। सुभाषित के दो अर्थ हो सकते हैंµअच्छा, मधुर बोलना और दूसरा शास्त्रों में प्राप्त अच्छी वाणी, सूक्त और श्लोक। अन्य भी रत्न हो सकते हैं पर कवि ने कह दिया कि वे लोग मूढ़ हैं जो पाषाण के टुकड़ों को रत्न कहते हैं। पानी का हमारे जीवन में बड़ा महत्त्व है। हम ध्यान दें कि पानी का अपव्यय न हो, उसका अपना महत्त्व है।
आगम साहित्य में अनेक सूत्र मिलते हैं, उनमें से एक है कि हमारा जीवन किस प्रकार है? उत्तर दियाµवृक्ष का पत्ता, पका हुआ पान जैसे गिर जाता है, उसी प्रकार एक दिन मनुष्य का जीवन भी पूरा हो जाता है। इसीलिए शिक्षा दी गई कि समय भर भी प्रमाद मत करो। पाप में हमारा समय न बीते। समय का भी मूल्य है। 24 घंटों में समय का सदुपयोग करें। यह तो निरंतर गतिमान है। उम्र आ गई अब जीवन में समय का अच्छा उपयोग करें। एक जन्म दिवस आता है, जीवन का एक वर्ष कम हो जाता है। गया हुआ समय वापस नहीं आता है।
हम शुभ भावों में रह सकें। व्यस्त तो भले रहें पर अस्त-व्यस्त न हों। चित्त में शांति रहनी चाहिए। मन में तनाव से स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। समय का उपयोग अध्यात्म साधना में भी किया जाए। सामायिक के साथ स्वाध्याय, जप, ध्यान, तत्त्व चर्चा में भी समय लगाएँ। सुबह-सुबह धर्म-अध्यात्म की खुराक प्राप्त कर लें। अन्य कार्यों में भी धर्म को आगे रखकर कार्य करें। 75-80 वर्ष आने के बाद निवृत्ति लें, धर्म साधना में लग जाएँ, संन्यासी सा जीवन हो जाएँ। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि कहावत है कि धर्म रक्षित है, तो वह सब की रक्षा करता है। वर्तमान के परिपेक्ष में यदि पर्यावरण सुरक्षित रहता है, तो प्राणीमात्र के अस्तित्व की सुरक्षा करता है। हम भगवान महावीर के अहिंसा के सिद्धांत को समझें। जीव और अजीव दोनों का संयम करें। पानी का भी हम संयम करें। अहिंसा की आराधना करने वाले के मन में संयम की चेतना जागृत होती हैं।
स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष नवरतनमल चोरड़िया, स्थानीय स्वागताध्यक्ष कैलाश बोहरा, नगरसेवक राज किणे, नगरसेवक सानूभाई पठान, स्थानकवासी समाज के राजेश मेहता व बाबाजी सखाराम पाटिल स्कूल के कुणाल पाटिल ने अपनी भावना अभिव्यक्ति की। तेयुप एवं तेममं ने संयुक्त रूप से स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मंडल की कन्याओं ने भी गीत के माध्यम से अपने आराध्य के चरणों की अभ्यर्थना की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।