ज्ञानशाला है सद्संस्कारों का अक्षय कोष

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ज्ञानशाला है सद्संस्कारों का अक्षय कोष

दिल्ली।
अणुव्रत भवन, दिल्ली के प्रांगण में दिल्ली सभा के तत्त्वावधान में दो सत्रों में वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें प्रथम सत्र में 13 केंद्रों के ज्ञानार्थी बच्चों की संस्कारों से ओत-प्रोत प्रस्तुतियाँ आकर्षण का केंद्र रहीं। साध्वी अणिमाश्री जी और समणी नियोजिका जयंतप्रज्ञा जी का मंगल सान्निध्य दोनों सत्रों में प्राप्त हुआ। साध्वीश्री जी ने अपने पाथेय में समय को पारस मणि की उपमा देते हुए ज्ञानार्थी बच्चों को एक कहानी के माध्यम से सीख दी। साध्वीश्री जी ने कहा कि ज्ञानशाला में आकर अगर समय का उपयोग करना सीख गए तो जिंदगी बदल जाएगी। उन्होंने बाल पीढ़ी को संस्कारों से संस्कारित करने में माताओं और प्रशिक्षिकाओं की अहम भूमिका बताते हुए प्रशिक्षिकाओं को उच्चारण शुद्धि पर विशेष बल देने को कहा। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि कृतज्ञता और दूसरों के गुणानुवाद का गुण जिसके भीतर रहता है वह स्वयं के विकासशीलता का रास्ता तय करता है। उन्होंने बच्चों को समझाने की शैली के गुर भी प्रशिक्षिकाओं को बताए।
इसी क्रम में समणी नियोजिका जयंतप्रज्ञा जी ने कहानी के माध्यम से बच्चों को गुणों की अभिवृद्धि का मंत्र दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीवृंद ने नमस्कार महामंत्र वाचन से किया। तत्पश्चात ज्ञानार्थियों ने ज्ञानशाला गीत से मंगलाचरण किया। दिल्ली ज्ञानशाला परामर्शक रतनलाल जैन ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए भाव व्यक्त किए। दिल्ली सभा महामंत्री प्रमोद घोड़ावत और दिल्ली ज्ञानशाला संयोजक अशोक बैद ने ज्ञानशाला पदाधिकारियों के साथ साध्वीवृंद और समणीवृंद को प्रतिवेदन भेंट किया। अशोक बैद ने सत्र-2023 की गति-प्रगति का विवरण प्रतिवेदन वाचन कर प्रस्तुत किया।
इस वर्ष दिल्ली ज्ञानशाला में नए केंद्रों-वसुंधरा तथा पालम केंद्र का शुभारंभ विशेष उपलब्धि रही। 13 केंद्रों द्वारा क्रम से दी गई प्रस्तुतियों का आधार था, ‘तेरापंथ के ग्यारह आचार्यों तथा नौ साध्वीप्रमुखाओं का जीवन वृत्त और गुणानुवाद’। अपनी प्रस्तुतियों में रोचकता लाते हुए चित्र, नुक्कड़ नाटक, कव्वाली, नृत्य नाटिका, कविता, गीतिका आदि अलग-अलग शैली और विधाओं में अपनी प्रस्तुति दी। वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम में गणमान्य अतिथियों और पदाधिकारियों की उपस्थिति विशेष उत्साह प्रदान करने वाली रही। विकास परिषद संयोजक अजात शत्रु व विशिष्ट श्रावक मांगीलाल सेठिया, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रभारी ट्रस्टी शांतिकुमार जैन और पूर्व मुख्य न्यासी संपत नाहटा, महासभा प्रतिनिधि कैलाश डूंगरवाल, दिल्ली सभा पूर्वाध्यक्ष गोविंद बाफना, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, उपाध्यक्ष बाबूलाल दुगड़, उपाध्यक्ष नत्थूराम जैन, कोषाध्यक्ष सुनील भंसाली, ज्ञानशाला केंद्रीय प्रकोष्ठ समिति सदस्य सरोज छाजेड़ सहित अनेक सभा-संस्थाओं के पदाधिकारीगण, सदस्यों एवं गणमान्यजनों की उपस्थिति रही। लगभग 610 की उपस्थिति रही।
निर्मला, अनिल, रेखा, शगुन, श्रेय बैद परिवार द्वारा अर्थ सौजन्य प्रदान किया गया। प्रथम सत्र का संचालन रोहिणी केंद्र की ज्ञानार्थी मान्या जैन और मिष्टी जैन ने किया। आभार ज्ञापन सह-संयोजिका राजुल मनोत ने किया। द्वितीय सत्र सम्मान सत्र के रूप में आयोजित किया गया। जिसमें सभी 13 ज्ञानशाला स्थलों के स्थान प्रदाताओं, ज्ञानशाला पदाधिकारियों, श्रेष्ठ ज्ञानार्थी, शत-प्रतिशत उपस्थिति वालों सहित सभी केंद्र पदाधिकारियों, ज्ञानशाला में 80 प्रतिशत व उससे अधिक उपस्थिति दर्ज कराने वाले सभी प्रशिक्षिकाओं, कार्यकर्ताओं को मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। शेष सभी को सार्टिफिकेट प्रदान किया गया। द्वितीय सत्र का संचालन सह-संयोजक बजरंग कुंडलिया और नवीन जैन द्वारा किया गया। इस सत्र का शुभारंभ साध्वीवृंद ने नवकार वाचन से किया। तत्पश्चात दिल्ली ज्ञानशाला संयोजक व उनकी टीम द्वारा मंगल संगान किया गया। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने ज्ञानशाला को आशीर्वचन प्रदान किया।
दोनों सत्रों में सह-संयोजिका दीपिका नाहटा और राजुल मनोत ने पुरस्कार के साथ ज्ञानार्थियों, प्रशिक्षिकाओं और अभिभावकों से रोचक प्रश्नोत्तर पूछ सभी के उत्साह को द्विगुणित किया। आभार ज्ञापन सह-संयोजक पारस तातेड़ ने किया। कार्यक्रम के आयोजन में सूर्यनगर केंद्र, रोहिणी केंद्र, ओसवाल भवन केंद्र तथा गांधीनगर केंद्र के कार्यकर्ताओं, प्रशिक्षिकाओं का सहयोग प्राप्त हुआ।