जैन संस्कृति के आलोक में श्रीराम

संस्थाएं

जैन संस्कृति के आलोक में श्रीराम

दिल्ली।
साध्वी अणिमाश्री जी एवं समणी निर्देशिका जयंतप्रज्ञा जी के सान्निध्य में दिल्ली सभा, अणुव्रत न्यास एवं भगवान महावीर मेमोरियल समिति के तत्त्वावधान में अणुव्रत भवन में एक विशेष विचार संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका विषय था-‘जैन संस्कृति के आलोक में श्रीराम’। इस कार्यक्रम में संघ के प्रचारक प्रेमकुमार, भारतीय ज्ञानपीठ के ट्रस्टी पुनीत जैन, कल्याण परिषद के संयोजक के0सी0 जैन, मांगीलाल जैन, विपिन जैन, संपत नाहटा आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित हुए। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि जैन परंपरा में सिद्ध आत्मा के रूप में वंदनीय राम जन-जन की आस्था के धाम हैं। राम के जीवन की प्रत्येक घटना मैत्री, प्रेम, करुणा की कहानी है। अखंड समता के साधक राम के जीवन का हर प्रसंग रोमांचित एवं प्रेरित करने वाला है। राज्याभिषेक के लिए आहूत राम को वनवास जाने का निर्देश बिलकुल भी विचलित नहीं कर सका, यह थी राम की अखंड समता की साधना।
जीवन के हर मोड़ पर प्रतिकूलता में उन्होंने अनुकूलता को संयोजित किया। हर रिश्ते को सकारात्मक सोच का धरातल दिया। जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रत के बरतारे में श्रीराम ने अपनी साधना-आराधना को संपूर्णता का शिखर देकर अपने जीवन को ही नहीं, धरणी-धाम को भी धन्य बना दिया। आज राम को हम सब मान रहे हैं लेकिन जरूरत इस बात की है कि हम राम की मानें, ताकि आने वाली हजारों पीढ़ियों के लिए हम माईल स्टोन बन जाएँ। समणी सन्मतिप्रज्ञा जी ने कहा कि पाँचवें देवलोक से अयोध्या की धरा पर जन्म लेने वाले राम ने अपने कर्तृत्व से व्यक्तित्व को सँवारा। अपने गुणों का संवर्धन करके अपने चिंतन, चरित्र व व्यवहार को उत्कृष्टता दी। साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी डॉ0 सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी, समणी जयंतप्रज्ञा जी एवं समणी सन्मतिप्रज्ञा जी ने गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी।
दिल्ली सभा के सदस्यों ने साध्वीश्री द्वारा रचित गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं एवं महिला मंडल की बहनों ने मंगल संगान की प्रस्तुति दी। कल्याण परिषद के संयोजक के0सी0 जैन, अणुव्रत न्यास से संपत नाहटा, अजातशत्रु मांगीलाल सेठिया, ज्ञानपीठ से पुनीत जैन, संघ प्रचारक प्रेमकुमार, मुंबई से समागत अनिल बाफना, अभातेममं की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुमन नाहटा, रमेश कांडपाल ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष बाबूलाल दुगड़ ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।