व्रत पालन से होती जिनशासन की प्रभावना
डी0वी0 कॉलोनी
साध्वी जिनरेखा जी के सान्निध्य में अभातेयुप के निर्देशन में तेयुप द्वारा बारह व्रत कार्यशाला सिकंदराबाद में आयोजित की गई। शासनश्री साध्वी जिनरेखा जी ने कहा कि बारह व्रतों का कार्यक्रम हर साल इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि हम धर्म, त्याग और संयम को समझते हैं। जैन धर्म में साधु और गृहस्थ दोनों का बहुत बड़ा महत्त्व है। साधु तो पाँच महाव्रत का पालन करता है। श्रावक भी धर्म का आचरण करता है, बारह व्रतों का पालन करता है, जिससे जैन शासन की प्रभावना होती है। साधु ने तो ज्ञान, दर्शन, चारित्र की आराधना करने का मार्ग अपनाया है वो तो महाव्रतधारी होते हैं। लेकिन गृहस्थ घर में रहकर के ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप रूपी बारह व्रतों की आराधना करता है। तो वह अपने जीवन को तो सुधारता ही है साथ ही जैन शासन की प्रभावना भी करता है।
साध्वीश्री जी ने गुरुदेव तुलसी द्वारा बारह व्रत पर रचित गीतिका का संगान किया। बारह व्रत कार्यशाला के संयोजक श्रेणिक गोलछा ने अपने विचार रखे। तेयुप, हैदराबाद के मंत्री वीरेंद्र घोषल ने बारह व्रतों के बारे में उद्गार व्यक्त किए और सभी से आह्वान किया कि बारह व्रतों को धारण करने का प्रयास करें।
इस अवसर पर तेयुप के निवर्तमान अध्यक्ष राहुल श्यामसुखा, उपाध्यक्ष विनोद दुगड़ व सभी संस्थाओं के पदाधिकारीगण, कार्यकारिणी सदस्य एवं श्रावक-श्राविका समाज की अच्छी उपस्थिति रही।