मर्यादा महोत्सव के अवसर पर गीत
गणपति गण के नेमा के नंद, हे प्रभो यह तेरापंथ।
तेरापंथ, तेरापंथ, सब मिल बोलो मेरापंथ,
जय ज्योतिचरण ज्योतिचरण जय ज्योतिचरण,
ज्योतिचरण ज्योतिचरण ज्योतिचरण।
जय ज्योतिचरण ज्योतिचरण ज्योतिचरण जय ज्योतिचरण,
ज्योतिचरण ज्योतिचरण ज्योतिचरण।
मर्यादा, मर्यादा ये मेरे गण की शान, होना है गण हित कुर्बान,
हो गण की आँखों के तारे हैं नेमानंद, बोलो जय जय तेरापंथ।।
वाशी ये काशी बन गया, शुभ दिन ये आज का आ गया,
हुई महर पुनः गणनाथ की, दरबार स्वर्ग सा सज गया।
जागा मुंबई का भाग जी, गूँजा मर्यादा राग जी,
गुरु के भक्तों की अखियों से, छलका है प्रेम अनुराग जी।
गण मेरा, गण मेरा, करना है संघ में बलिदान,
होना है गण हित कुर्बान।।
गण मर्यादा का अमर पत्र है, एक गुरु और एक छत्र है।
तेरापथ मेरापथ है भगवन्प्र, प्रश्न ना कोई ना क्यों एक तंत्र है।
सत्य शोध का पथ है पावन, श्री जय भिक्षु अखंडित शासन,
संविधान लिखा लोह कमल से, गूँजे चिहुँदिशि जय अनुशासन।
किसी भी, किसी भी स्थिति में ना हारे भिक्खु स्याम।
गण करता है कोटि प्रणाम।।
हो गण की आँखों के तारे है नेमानंद,
सुधरी की छतरयाँ बोल रही, वो कच्ची हाटें बोल रही,
उस यक्षराज की भक्ति से, अंधेरी ओरी बोल रही,
बोल रहे मन भक्तों के, अ0भी0रा0 शि को0 बोल रहे।
बाबे की धुन में हो के मगन, जय ज्योतिचरण सब बोल रहे।
मर्यादा अनुशासन में रत, साधु-साध्वियाँ बोल रहे।
मर्यादा मर्यादा ये मेरे गण की शान, होना है गण हित कुर्बान,
हो गण की आँखों के तारे हैं नेमानंद, बोले जय जय तेरापंथ।
जय ज्योतिचरण ज्योतिचरण जय ज्योतिचरण।।
आज्ञा समर्पण और उमंग, जय ज्योतिचरण।।
पल पल है हम प्रभु के संग, जय ज्योतिचरण।।
दूजे दशक के पहले भिक्षु, जय ज्योतिचरण।।
छाया गुरु चरणन् नवरंग, जय ज्योतिचरण।।
लय: जय सियाराम---