यह तेरापंथ निराला
जय-जय शासनऽऽऽ हो जय मर्यादा।
जय-जय शासन, जय मर्यादा, पावन घोष हमारा,
विश्व क्षितिज पर चमक रहा, तेरापंथ ज्यों ध्रुवतारा,
इसकी हिमालयी ऊँचाई, क्षीर समंदर-सी गहराईऽऽऽ
जय-जय शासन...
महावीर की परंपरा के, आर्य भिक्षु हस्ताक्षर,
सत्यशोध के लिए समर्पित चिंतन जैनागम पर।
उनका तेज-ओज था निरूपम, सोच विधायक अद्भुत उपशम।।
मर्यादा, अनुशासन के साँचे में गण को ढ़ाला,
इसीलिए दुनिया कहती है, तेरापंथ निराला।
प्राण संघ का विनय-समर्पण, अहंकार ममकार विसर्जन।।
वासंती फूलों का ज्यों गुलदस्ता मर्यादोत्सव,
यहाँ शासना और साधना का आध्यात्मिक वैभव।
मर्यादा का मान बढ़ाएँ, शासन की महिमा महकाएँ।।
महातपस्वी महाश्रमण गणनायक प्रबल प्रतापी,
दशों दिशाओं में जिनके यश की गाथाएँ व्यापी।
तीर्थंकर से अतिशय धारी, माघ महोत्सव जय-जयकारी।
लय: काला काला बादलिया---