संघ हमारा, हम संघ के
तिरुवन्नामलाई।
साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में ‘संघ के प्रति अपना दायित्व’ कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से हुआ। साध्वीश्री जी ने कहा कि संघ हमारा त्राण है, गति है, प्रतिष्ठा है, शरण है, द्वीप है। संघ हमारा है हम संघ के हैं, यह समर्पण ही व्यक्ति को दायित्व की अनुभूति करा सकता है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि 21वीं सदी में हमारा धर्मसंघ 19 नहीं 21 हो, हमारे धर्मसंघ का गौरव कैसे बढ़ें इसका चिंतन करें। सभी मिलकर एक नई क्रांति को जन्म दे, जिससे समाज में, संघ में, परिवार में, खुशहाली आ सके। साध्वी मेरूप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका के साथ प्रस्तुति दी। साध्वी दक्षप्रभा जी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। आहार शुद्धि, अहिंसक चेतना जागृति, शनिवार की सामायिक ऐसे कई सारे कर्तव्य को भी प्रामाणिकता से निभाना चाहिए। कुछ बहनों ने भिक्षु स्वामी के दृष्टांत से संघ के प्रति निष्ठा और संघ की मर्यादाओं को कैसे आचरण में लाना और जीवन में अनुशासित रहना चाहिए, विषय पर प्रस्तुति दी।