मर्यादा में चलने वाला साधक अपनी आत्मा को निर्मल व उज्ज्वल बनाता है

गुरुवाणी/ केन्द्र

मर्यादा में चलने वाला साधक अपनी आत्मा को निर्मल व उज्ज्वल बनाता है

साउथ कोलकाता
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में 160वाँ मर्यादा महोत्सव साउथ कोलकाता तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर बृहत्तर कोलकाता से अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि संस्कृति संस्कार और साधना की पृष्ठभूमि को सुदृढ़ बनाने वाला मर्यादा महोत्सव तेरापंथ की संस्कृति का परिचायक है। यह अनुशासन, मर्यादा, संगठन और एकता का प्रतीक है, यह तेरापंथ का कुंभ है। यह धर्मसंघ का अभिनव कल्प प्रयोग है। आचार्य भिक्षु द्वारा निर्मित मर्यादाओं के आधार पर चतुर्थ आचार्य जयाचार्य ने वि0सं0 1921 बालोतरा में मर्यादा महोत्सव का शुभारंभ किया।
मुनि जिनेश कुमार जी ने आगे कहा कि जैसे मंदिर का अग्रभाग कलश से सुशोभित होता है, मस्तक की शोभा मुकुट से, फूल की शोभा परिमल से होती है, वैसे ही संघ की शोभा मर्यादा से होती है। मर्यादा अमृत है, मर्यादा नींव है, मर्यादा आत्मसंयम का दीप है। मर्यादा सुरक्षा कवच है। मर्यादा बंधन नहीं, बल्कि जीवन निर्माण की आधारशिला है। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि श्रद्धा, समर्पण, विनय, विवेक, आज्ञा और अनुशासन के आश्वासन का महान अवसर हैµमर्यादा महोत्सव। मर्यादाओं के पालन से व्यक्ति की उन्नति होती है। इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा के मंत्री कमल सेठिया ने स्वागत भाषण दिया।
इस अवसर पर तेममं की संगठन मंत्री रमण पटावरी, मित्र परिषद के मंत्री अशोक बैंगानी, तेयुप, साउथ कोलकाता के अध्यक्ष राकेश नाहटा, तेममं की अध्यक्षा पद्मा कोचर, टीपीएफ के अध्यक्ष प्रवीण सिरोहिया, महासभा के पूर्व महामंत्री तरुण सेठिया ने अपने विचार व्यक्त किए। जैन कार्यवाहिनी के पूनमचंद कोचर आदि सदस्यों एवं उषा बरड़िया ने सुमधुर गीत का संगान किया। मित्र परिषद सदस्यों द्वारा मुनिश्री को तिथि दर्पण एवं तिथि पत्रक भेंट किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेममं द्वारा मंगलाचरण से हुआ। आभार ज्ञापन सभा के सहमंत्री कमल किशोर कोचर ने किया संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।