तेरापंथ का महाकुंभ है मर्यादा महोत्सव

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तेरापंथ का महाकुंभ है मर्यादा महोत्सव

कोटा
गुलाबबाड़ी स्थित तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वी धनश्री जी के सान्निध्य में 160वें मर्यादा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शासनश्री साध्वी धनश्री जी ने मर्यादा का महत्त्व बताते हुए कहा कि मर्यादाएँ बंधन नहीं व्यवस्था होती है। ये स्वेच्छा से स्वीकार की जाती हैं। बलात थोपी हुई नहीं। यह शासन एक उपवन है, इसमें विभिन्न तरह के फूल खिलते हुए उपवन को शोभायमान करते हैं और इस उपवन में गुरुचरणों में मर्यादित और अनुशासित जीवन जीते हैं।
इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल की कुसुम बोथरा, शीतल सुराना, रुचि जैन, मधु जैन, स्वाति मेहता, अनीता बरड़िया, तनु जैन, अनामिका जैन ने धर्मसंघ के मूल प्राण तत्त्व श्रद्धा, अनुशासन, मर्यादा, समर्पण एवं साहस की रोचक एवं नाटकीय विश्लेषण प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में धर्मचंद जैन, रवि प्रकाश बुच्चा, आशीष जैन एवं आशीष सुराणा ने मंगल मर्यादा गीत की मंत्रमुग्ध प्रस्तुति दी। साध्वी शीलयशा जी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि दुनिया में क्रांति करने वाले अनेक व्यक्ति हैं पर शांति धृति और शक्ति के साथ भक्ति की क्रांति करने वाले आचार्य भिक्षु का प्रथम नाम आता है। साध्वी सलिलयशा जी, साध्वी विदितप्रभा जी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। सभा के मंत्री धर्मचंद जैन ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करवाया।