१६०वें मर्यादा महोत्सव के विविध कार्यक्रम

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१६०वें मर्यादा महोत्सव के विविध कार्यक्रम

हुबली

साध्वी संयमलता जी एवं साध्वी उदितयशा जी के सािन्नध्य में उत्तर कर्नाटक स्तरीय मर्यादा महोत्सव के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साध्वी संयमलता जी ने अपने वक्तव्य में फरमाया कि तेरापंथ धर्मसंघ में आज्ञा ही तप है, आज्ञा ही संयम है। इस संघ में गुरु आज्ञा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। साध्वीश्री ने कहा कि मर्यादा वह है जो बिखराव को समेटती है, जो अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाती है, जो शक्तियों को सही दिशा प्रदान करती है, जो अनुशासन से जीवन को संवारती है। संघ-संगठन के संदर्भ में जहां इच्छाओं का समर्पण सामुदायिक चेतना का विकास हो, उसे हम मर्यादा कहते हैं। मर्यादा और अनुशासन ही तेरापंथ धर्मसंघ का प्राण है। साध्वी उदितयशा जी ने कहा मर्यादा के निर्माता, मर्यादाएं और मर्यादाओं का पालन करने वाले, इन तीनों में मर्यादाओं का पालन करने वालों का महत्वपूर्ण स्थान है। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीवृंद ने मर्यादा गीत के संगान से की। ‘तेरापंथ की कहानी साध्वी वृंद की जुबानी’ की प्रस्तुति साध्वी मनीषाप्रभा, साध्वी भव्ययशा, साध्वी रौनकप्रभा और साध्वी शिक्षाप्रभा ने प्रस्तुत किया।
साध्वी संगीतप्रभा ने आचार्य भिक्षु के प्रति भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने ओजस्वी स्वरों के साथ गीत का मंगल संगान किया। साध्वी वृंद ने सुमधुर गीतिका से वातावरण को संगीतमय बना दिया। उत्तर कर्नाटक और हुबली से समागत श्रावक श्राविकाओं का स्वागत करते हुए हुबली तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमोलकचंद बागरेचा ने अपने भावों को व्यक्त किया। तेरापंथी सभा के मंत्री केसरीचंद गोलेछा ने वासुपूज्य भवन के ट्रस्ट मंडल का आभार एवं सम्मान किया। तेरापंथ युवक परिषद हुबली के अध्यक्ष विशाल बोहरा ने गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवश्री जी ने किया।