१६०वें मर्यादा महोत्सव के विविध कार्यक्रम
सरदारपुरा
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के महत्वपूर्ण पर्व मर्यादा महोत्सव का आयोजन शहर के सरदारपुरा स्थित मेघराज तातेड़ भवन में किया गया। शासनश्री साध्वी कमलप्रभा जी, साध्वी गुप्तिप्रभा जी, साध्वी कुंदनप्रभा जी के सान्निध्य में आयोजित हुए इस कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री के द्वारा नमस्कार महामंत्र के सम्मुच्चारण से हुआ। कार्यक्रम का मंगलाचरण कवि जैन ने सुंदर गीतिका के माध्यम से किया। साध्वी कुसुमलता ने मर्यादा के महत्व को उजागर करते हुये गीत का संगान किया। साध्वी जगतयशा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मर्यादा, अनुशासन और समर्पण तेरापंथ धर्मसंघ की पहचान है। साध्वी विद्युतप्रभा जी ने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु ने मर्यादाओं का निर्माण किया और उन्हीं मर्यादाओं को महोत्सव का रूप देने वाले चतुर्थ आचार्य जीतमल जी थे।
आचार्यश्री भिक्षु ने दूरदर्शी चिंतन कर धर्मसंघ का संविधान लिखा, उसी का परिणाम है आज भी एक गुरु की आज्ञा सर्वोपरि है। साध्वीवृन्द ने सामूहिक गीतिका 'जय मर्यादा जय शासन, जय मर्यादा जय अनुशासन' का संगान िकया। साध्वी गुप्तिप्रभा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु का सपना था सत्य का साक्षात्कार करना और संकल्प था जिनवाणी के प्रति अपनी आस्था को समर्पित करना। आचार्य भिक्षु के पुरुषार्थ ने जो लिखा उसी का परिणाम यह मर्यादा महोत्सव है। उनके साहस और पुरुषार्थ की फलश्रुति है यह अनुशासित और मर्यादित धर्मसंघ।
शासनश्री साध्वी कमलप्रभा जी ने कहा िक मर्यादाओं के निर्माता आचार्य भिक्षु थे और मर्यादा के सतत संचालक वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमण जी हैं। आचार्यश्री भिक्षु लौह पुरुष थे, जिन्होंने ऐसा मजबूत और पावन संविधान लिखा, जिसकी सुदृढ नींव पर यह तेरापंथ धर्मसंघ का विशाल भवन खड़ा है। ऐसा धर्मसंघ जिसकी दुनिया में अपनी विलक्षण पहचान है, जिसकी श्रद्धा, सेवा, समर्पण का त्रिवेणी संगम अद्वित्तीय है। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष सुरेश जीरावला, महिला मंडल अध्यक्षा दिलखुश तातेड़, नैनमल तातेड़, रीना सिंघवी ने वक्तव्य द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल सरदारपुरा तथा तेरापंथ युवक परिषद सरदारपुरा द्वारा गीतिका का संगान िकया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मौलिकयशा जी व साध्वी भावितयशा जी ने किया। सामूहिक संघ गान के संगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।