अणुव्रत भवन में आध्यात्मिक मिलन समारोह का आयोजन
दिल्ली।
अणुव्रत भवन में धर्मसंघ की साध्वी अणिमाश्री जी एवं साध्वी संगीतश्री जी का आध्यात्मिक मिलन का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्री जी अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ साध्वी संगीतश्री जी की अगवानी में पधारे। मार्ग में जब साध्वियों का परस्पर मिलन हुआ तो विनय व वात्सल्य का विलक्षण नजारा देखकर दर्शक गदगद हो गए। साध्वी अणिमाश्री जी ने अभ्यागत साध्वी जी का स्वागत करते हुए कहा हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें तेरापंथ धर्मसंघ मिला है। तेरापंथ धर्मसंघ की भक्ति, शक्ति एवं अनुरक्ति अनुपम है। ऐसे दृश्य तेरापंथ धर्मसंघ में ही दृष्टिगोचर हो सकते हैं। आज तेइस वर्षों के बाद साध्वी संगीतश्री जी से मिलना हुआ। साध्वी संगीतश्री जी ऋजुमना, श्रमशील एवं कर्मठ साध्वी हैं। संघ की प्रभावना में श्रम स्वेद बहाने वाली साध्वी है। इन्होंने दक्षिणांचल एवं पूर्वांचल की यात्रा कर संघ की खूब प्रभावना की है।
पूज्यप्रवर ने महत्ती कृपा कर इस बार आपका चतुर्मास शाहदरा में फरमाया है। शाहदरा दिल्ली का सघन एवं अच्छा क्षेत्र है। साध्वी संगीतश्री जी का सिंघाड़ा तप के क्षेत्र में विशिष्ट सिंघाड़ा है। चारों साध्वियां चार वर्षों से निरन्तर वर्षीतप कर रही है। पूरा सिंघाड़ा वर्षीतप करने वाला संभवतया पहला सिंघाड़ा है। आपका दीक्षा का 50 वर्ष प्रारंभ हुआ है। संयम की अर्धशती के प्रवेश पर हम मंगलकामना करते हैं। सहवर्ती तीनों साध्वियां होशियार, विवेकी एवं विनयशील हैं। आप सभी का श्रम संघ की पोथी में सृजन के आलेख लिखे। साध्वी संगीतश्री जी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए कहा- तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादित एवं अनुशासित धर्मसंघ है। मर्यादा व अनुशासन के परकोटे में रहने वाला व्यक्ति विकास के शिखर पर आरोहण करता है। मर्यादा के कल्पतरू की छांव में बैठने वाला व्यक्ति जीवन में आनंद की बंशी बजाता है। हमारे जन्म-जन्मांतरों के पुण्य फले हैं, जिससे हमें ऐसा धर्मसंघ मिला है।
साध्वीश्री ने कहा आज हमारा तेरापंथ धर्मसंघ की विशिष्ट साध्वी अणिमाश्री जी से मिलन हुआ है। मैं इनको अपना ज्ञानदाता मानती हूं। इनका ज्ञान निर्मल है, ज्ञान के प्रति अभिरुचि है। आपकी प्रवचन शैली सरस एवं बेजोड़ है आपका प्रवचन जन-जन के लिए आकर्षण का केन्द्र है। आपने साधना से अपने व्यक्तित्व को आभामंडित किया है। आप जहां भी जाती हैं अपनी विशिष्ट छाप छोड़कर आती हैं। आपके भीतर काम करने का जज्बा है। हम आपके जीवन से, आपके अनुभवों से, आपकी कार्यशैली से कुछ सीखें, ऐसी अपेक्षा है। आपने अपनी सहवर्तिनी साध्वियों को भी अच्छा तैयार किया। सबको देखकर प्रसन्नता की अनुभूति होती है।
साध्वी कर्णिकाश्री जी, साध्वी डॉ़ सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने अभ्यागत साध्वी वृन्द का गीत के माध्यम से स्वागत किया। साध्वी शांतिप्रभाजी, साध्वी कमलविभाजी एवं साध्वी मुदिताश्री जी ने तेरापंथ धर्मसंघ के “ट्युरिस्ट की सैर” करवाकर सबका मन मोह लिया। डाॅ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच का कुशल संचालन किया। दिल्ली सभाध्यक्ष श्री सुखराज जी सेठिया, शाहदरा सभाध्यक्ष पन्नालालजी बैद, कुसुम खटेड़, फरीदाबाद से नरेन्द्र घोषल ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। पूर्वी दिल्ली महिला मंडल ने स्वागत में सुमधुर गीत का संगान किया।