बोलो जय जयकार है

बोलो जय जयकार है

शासनश्री साध्वी सोमलता की बोलो, जय जयकार है।
मुम्बई दादर की धरती पर, खोला शिवपुर द्वार है।।
गुरु आज्ञा से साध्वी प्रमुखा, लाडसति कर से दीक्षा।
तुलसी महाप्रज्ञ गुरु से तुमने, पाई अनमौली शिक्षा।
तीक्ष्ण बुद्धि जीवन का आधार है।।
भीतर बाहर एक जैसा साफ सुथरा था जीवन।
स्पष्टवादिता मिलन सारिता सद्गुण थे तव आभूषण।
संस्कारों से सुरभित जीवन गुलजार है।।
कुशल गायिका लेखिका वक्तृत्व कला व्यवहार कुशल ।
लघु भ्राता का सहयोग, पाया गुरुवर का सम्बल।
मनोरथ सफल हुआ साकार है।।
उग्रविहारी दीर्घतपस्वी कमलमुनि दौड़े आऐ।
भाई के दर्शन पाकर के, समाधिस्थ है बन पाये।
उमड़ा खुशियां का पारावार है।।
समाधिस्थ आत्मस्थ बनकर आत्मा से प्रीती जोड़ी।
मोह-माया का बंधन तोड़ा, अंतिम सांसे जब छोड़ी।
शकुन्तला ने पचक्खाया संथार है।।
बम्बई पावस, नन्दवन में महाश्रमण साया पाया।
मुख्यमुनि अरू साध्वीप्रमुखा साध्वी वर्या की छाया।
गण गणपति जीवनतंत्री आधार है।।
महाश्रमण जीवन नौका खेवनहार है।।
साध्वी शकुन्तला संचित जागृत रक्षित दृृष्टि आराधी।
मनोयोग से जागरूक बन पल-पल है सेवा साधी।।
सबका सहयोग मिला सुखकार है।।
श्रावक समाज मुम्बई सुखकार है।।
लय: खड़ी नीम के नीचे