अणुव्रत व्याख्यानमाला का आयोजन

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अणुव्रत व्याख्यानमाला का आयोजन

चे्नई/तिरुकल्लीकुण्ड्रम। 

अणुव्रत समिति, चेन्नई द्वारा अणुव्रत आन्दोलन के ७५वें स्थापना वर्ष पर उद्घोषित अणुव्रत अमृत महोत्सव का सम्पूर्ति समारोह साध्वी डॉ गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में 'अणुव्रत व्याख्यानमाला' के अंतर्गत जैन भवन, तिरुकल्लीकुण्ड्रम में आयोजित किया गया।
साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने व्याख्यानमाला में धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि अणुबम के युग में अणुव्रत व्यक्तित्व विकास का पायदान प्रस्तुत कर रहा है। अणुव्रत व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहभागी बनता है। आचार्यश्री तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आन्दोलन पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करता है। छोटे से बीज में वटवृक्ष बनने की क्षमता होती है, उसी तरह अणुव्रत के छोटे छोटे नियम स्वीकरण से व्यक्ति का स्वयं का विकास होता है और उससे समाज, देश और विश्व विकास की परिकल्पना साकार होती हैं।
साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि असली आजादी को अपनाने का नारा देते हुए समाज के सर्वोदय के लिए गुरुदेव श्री तुलसी ने आज से ७५ वर्ष पूर्व अणुव्रत का सूत्रपात किया। अणुव्रती बनने से जीवन में हिंसा का अवरोहण होता है और अहिंसा का ऊर्ध्वारोहण होता है। साध्वी मैरुप्रभा जी एवं साध्वी दक्षप्रभा जी ने गीतिकाओं की सुन्दर प्रस्तुति दी।
विशिष्ट अतिथि अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित, साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने कहा कि राष्ट्रीय निर्माण के लिए शिक्षा जरूरी है।
शिक्षा जगत में अणुव्रत के साथ जीवन विज्ञान के प्रयोगों से चारित्र निर्माण सम्भव है। अणुव्रत जीवन शैली से पर्यावरण संतुलन बना रह सकता है। अणुव्रत समिति प्रतिनिधि वक्ता गौतमचन्द सेठिया ने कहा कि अणुव्रत से मन और बुद्धि का संतुलन हो सकता है, संवेदनाओं का प्रसार होता है, करुणा का विकास होता है।
कार्यक्रम के शुभारम्भ से पहले शहर के मुख्य मार्गों व बाजार में अणुव्रत रैली निकाली गई। जिसमें अणुव्रत के उद्घोष उच्चारित किए गए। साध्वीश्री के नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। अणुव्रत समिति चेन्नई एवं तिरुकल्लीकुण्ड्रम के श्रावक समाज ने अणुव्रत गीत संगान के साथ मंगलाचरण हुआ। सम्पतराज बडोला, अध्यक्ष तेरापंथ सभा, तिरुकल्लीकुण्ड्रम एवं ललित आंचलिया, अध्यक्ष अणुव्रत समिति चेन्नई ने स्वागत स्वर प्रस्तुत करते हुए अणुविभा द्वारा संचालित गतिविधियों का उल्लेख किया।
बाबुलाल खांटेड़, ताराचन्द बरलोटा ने अपने विचार व्यक्त किए। पंकज चौपड़ा एवं प्रशांत दुगड़ ने आभार व्यक्त किया। कुशल संचालन अणुव्रत समिति चेन्नई के मंत्री स्वरूप चन्द दाँती ने किया।