होली पर जलाएं कषायों की होली
तमिलनाडु के विल्लुपुरम शहर के श्री सुसवाणी भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि दीपकुमार जी ठाणा -२ के सान्निध्य में ‘होली चातुर्मास’ का कार्यक्रम जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, विल्लुपुरम द्वारा आयोजित किया गया। मुनिश्री ने कहा - होली लौकिक उत्सवों में प्रमुख उत्सव है। वर्ष भर के तनाव को भूलने, मिटाने का यह सबसे अच्छा दिन है। होली रंगों का त्यौहार है। मनुष्य रंगों का समवाय है, स्थूल दृष्टि से वह हाड़-मांस का पुतला है किंतु सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो मनुष्य रंगों की ही प्रतिकृति और उपज है। आभामंडल जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है वह भी रंगों की अनुकृति है। मुनिश्री ने आगे कहा - जैन धर्म के अनुसार चातुर्मासिक पक्खी का संबंध इसके साथ जुड़ा हुआ है। बीती बातों को भूलना सीखें। होली शब्द भी सही संदेश देता है 'होली' यानी जो हो गया उसे भूल जाओ। होली का अंग्रेजी के अनुसार अर्थ होता है पवित्रता। इस पर्व से हम पवित्रता की शिक्षा ग्रहण करें। लोग होली जलाते हैं पर वास्तव में कषायों की, बुराइयों की होली जलाएं। मुनि काव्यकुमार जी ने कहा- होली पर्व आनंद का संदेश देता है। इस अवसर पर बैर-विरोध की गांठों को खोलकर क्षमा को विकसित करें। कार्यक्रम में मंगलाचरण तेरापंथ कन्या मंडल विल्लुपुरम ने किया। तेममं एवं तेयुप ने अलग-अलग गीत का संगान किया। सभा अध्यक्ष महेंद्र धोका ने स्वागत भाषण दिया। तिन्डिवनम से उत्तमचंद आंचलिया, स्थानकवासी समाज से ललित कातरेला, ज्योति सुराणा ने भाव व्यक्त किए। आभार ज्ञापन प्रेम सुराणा एवं संचालन राजेश सुराणा ने किया।