'शासनश्री' साध्वीश्री सोमलता जी की स्मृति सभा का हुआ आयोजन

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'शासनश्री' साध्वीश्री सोमलता जी की स्मृति सभा का हुआ आयोजन

'उग्रविहारी तपोमूर्ति' मुनि कमलकुमार जी, मुनि जम्बू कुमार जी, साध्वी शकुंतलाकुमारी जी एवं साध्वी पुण्ययशा जी के सान्निध्य में 'शासनश्री' साध्वी सोमलता जी की स्मृति सभा का आयोजन हुआ। 'उग्रविहारी तपोमूर्ति' मुनि कमलकुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा- साध्वी सोमलता जी मेरी संसार पक्षीय ज्येष्ठ भगिनी थी, उन्होंने मुझे परमानन्द की राह पर चलने की प्रेरणा दी। आपने कहा- साध्वीश्री के जीवन में तीन आंकड़ों का अधिक योग था। तीन-तीन गुरुओं व तीन-तीन साध्वी प्रमुखाओं का वरदान रहा। जन्म के समय तीन भाई व मृत्यु के समय भी तीन भाई समीप थे, माता-पिता के नाम में भी तीन अक्षर थे। तीन अग्रगण्यों के पास रही तो अपने सहगामी तीन साध्वियों के ग्रुप लीडर बनाए और तीन क्षेत्र की साध्वियां भी साथ में थी। तेले के प्रत्याख्यान में अनशन व जिस क्षेत्र में सदा के लिए निवास किया उसमें भी तीन अक्षर थे। मुिनश्री आचार्यप्रवर एवं साध्वी प्रमुखाश्री जी के संदेश के बारे में जानकारी दी। मुनि जम्बूकुमार जी ने 'शासनश्री' साध्वी कंचनप्रभा जी के संदेश का वाचन करने के पश्चात कहा- साध्वी जी के साथ निकटता से बात करने का काम पिंपरी चिंचवड़ में पड़ा। उस समय से लेकर आज तक उनमें मैंने मां की छवि देखी। आखिरी समय में वे आत्मा में तल्लीन होकर समाधि मरण को प्राप्त हो गये। मुनि अमनकुमार जी, नमिकुमार जी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
साध्वी शकुंतलाकुमारी जी ने कहा- गणाधिपति गुरुदेव तुलसी की कृपा से 41 वर्ष तक साध्वी जी की छत्र छांव में रही। उन्होंने मुझे जो दिया उसे शब्दों में बांधना मेरे लिए कठिनतम है। साध्वी पुण्ययशा जी ने कहा- साध्वी सोमलता जी ने असहनीय वेदनीय कर्म के उदय को समता भाव से झेला। अंत में वेदनीय कर्म को पराजित कर इहलोक से तीसरे मनोरथ के साथ विदा ली।साध्वी संचितयशा जी ने विविध संस्मरणों का उल्लेख करते हुए कहा- वे पर पीड़ा को हरण करने वाली, पवित्र चित्त वाली थी। आत्मस्थ व गुरु के प्रति समर्पित थी। साध्वी जागृतप्रभा जी ने 'शासनश्री' साध्वी संघमित्राजी के संदेश का वाचन व साध्वी रक्षितयशा जी ने आचार्य प्रवर के सन्देश का वाचन कर अपने स्वरचित गीत का संगान किया।
साध्वी वर्धमानश्री जी ने साध्वी निर्वाणश्री जी व साध्वी योगक्षेमप्रभा जी द्वारा रचित गीत का, महिला मंडल ने साध्वी राकेशकुमारी जी द्वारा रचित गीत का संगान किया। साध्वी बोधिप्रभा जी ने बोधित्व प्राप्त करने की कामना की। संसारपक्षीय भाई जसकरण बैद, विजय बैद एवं पारिवारिक सदस्यों ने, चतुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, महासभा पूर्वाध्यक्ष सुरेश गोयल, किशन डागलिया, मुंबई सभा प्रेक्षा इंटरनेशनल, दादर सभा, तेरापंथ युवक परिषद्, तेरापंथ महिला मंडल आदि विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं सम्पूर्ण श्रावक-श्राविका समाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की। चार लोगस्स के ध्यान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।