दृढ़ मनोबल की धनी थी साध्वी सोमलताजी
‘शासनश्री’ साध्वी सोमलताजी पिछले कुछ समय से शारीरिक रूप से अस्वस्थ रह रही थी। आज अपने सभी मनोरथ पूर्ण कर इस संसार से विदा हो चुकी हैं। आप साधुता के आस्वादन रसास्वादन में सदैव सजग रही। गुरुत्रय व साध्वी प्रमुखा जी की आप पर सदा कृपा दृष्टि रही और उनकी कृपा दृष्टि से आपने अपने आप को एक सफल साध्वी बनाया। मैंने देखा आप एक कुशल प्रशिक्षक भी थे तो कुशल परीक्षक भी, एक कुशल वक्ता थी तो कुशल लेखक भी, कुशल गायिका भी थी तो कुशल गीतकार भी। अपनी प्रवचन शैली से हजारों-हजारों लोगों के सम्यक्त्व को पुष्ट किया तो अनेक अजैन भक्तों में आध्यात्मिक अभिरूचि जागृत की। दृढ़ मनोबल की धनी साध्वी सोमलता एक पुण्यशालिनी साध्वी थी। जिसका साक्षात् उदाहरण है जीवन के अंतिम वर्षावास में गुरु की साक्षात् सन्निधि, भ्राता मुनि कमलकुमारजी स्वामी का अंतिम समय में सहयोग व संबल एवं इसके साथ ही चारों साताकारी सहयोगी साध्वियों का सहवास, ऐसा सचमुच किसी पुण्यशाली व्यक्ति को ही मिल सकता है।
सच लिखा गया।
गुलाब के मुरझाने पर भी मिट्टी में महक रह जाती है।
व्यक्ति के चले जाने पर दिल में स्मृति रह जाती है।
नमन उस आत्मा को जिसके इस लोक के जाने पर भी
श्रद्धा एवं आस्था भरी गौरव गाथा रह जाती है।
दिवंगत आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना।