'नाणागमो मच्चु मुहस्स अत्थि'
मृत्यु आने के अनेक रास्ते हैं। 'शासनश्री' साध्वी सोमलताजी का संथारे में देहावसान हो गया। साध्वी सोमलताजी वर्षों से व्याधि से जूझ रही थी, पर आपका मनोबल ऊंचा था, आप दाठीक, उत्साही, कष्ट सहिष्णु एवं विदुषी साध्वी थी। आपने पूर्वांचल, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि प्रान्तों की यात्रा कर संघ की अच्छी प्रभावना की। साध्वी सोमलताजी मेरी सह-पाठिनी थी। पारमार्थिक शिक्षण संस्था में एक साथ प्रवेश किया। संस्था का चार वर्ष का पाठ्यक्रम पूरा कर हम दोनों दीक्षित हुई। दीक्षा लेने के बाद भी ‘शासनश्री' साध्वी कमल श्री के ग्रुप में हम दोनों तीन साल साथ रही। उनकी व्याख्यान कला, जोड़ कला बेजोड़ थी।
आप बड़ी सौभाग्यशालिनी थी कि मुंबई में गुरुदेव के दर्शन तथा चातुर्मास का अनुपम योग मिला। भाई कमल मुनि का भी अच्छा योग मिला। 2023 का होली चातुर्मास हमने चेम्बूर में साथ में किया। वह प्रवास हमको बार-बार याद आ रहा है। साध्वी शकुन्तलाजी, साध्वी संचितयशाजी, साध्वी जागृतयशाजी तथा साध्वी रक्षितयशाजी सभी साध्वियों ने पूरे मनोयोग से व तन का कपड़ा बन कर सेवा की। साध्वी सोमलताजी की आत्मा जहां भी हो, जल्दी से जल्दी मोक्ष की ओर अग्रसर हो. यही मंगल कामना।