मोत्यां सी उजली थांरी साधना
शासनश्री सोमलताजी, अनशनकर जीती बाजी।
मोत्यां सी उजली थांरी साधना।।
रतन केशर मात-पिता गंगाणै में जनम्या थे।
जीवन उजाल्यो संयम धार थे।।
अजब-गजब सी सहनशीलता रह्या सोम सम निर्मल थे।
कर्मां रा बंधन तड़-तड़ तोड़िया।।
मधुर आपकी प्रवचन शैली गीत कला बेजोड़ ही।
गुरुनिष्ठा संघभक्ति अणपार ही।।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल आपका है भ्राता।
अंतिम क्षण दियो आपनै साझ है।।
शकुंतलाश्रीजी संचित जागृत रक्षित रो योग हो।
तन कपड़ो बण सेवा साजी सांतरी।।
भागी सौभागी हां आपां भैक्षव शासन पायां हां।
महातपस्वी महाश्रमण सिर हाथ है।।
दादर में च्यार तीर्थ रा ठाठ है।।
लय: तेजा