थे तो जीवन धन्य बणायो
दीपै संथारो -3
शासनश्री संबोधन पायो।
थे तो जीवन धन्य बणायो।
मनोरथ तीजो सफल करायो।।
मानव रतन मिल्यो ओ भारी।
बैदां रै खिलगी केशर क्यारी।
छः भायां री भगिनी थे सुखकारी।।
प्रमुखा लाडांजी रै हाथां दीक्षा।
चैन्नई स्यूं गुरुवर भेजी शिक्षा।
निज री करता रह्या समीक्षा।।
सुधा स्यूं सोमलता कहलाया।
किरपा आचार्यां री पाया।
यात्रावां कर थे मोद मनाया।।
कमल मुनि रो योग मिल्यो मनहारी।
थांरी खिलगी मन फुलवारी।
महाश्रमण रा हां आभारी।।
लय: धरती धोरां री