परोपकार के लिए त्याग दें निज का स्वार्थ : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

परोपकार के लिए त्याग दें निज का स्वार्थ : आचार्यश्री महाश्रमण

पूज्य प्रवर का आज केडगांव पदार्पण हुआ। अमृत देशना प्रदान कराते हुए युगप्रधान आचार्य प्रवर ने फरमाया कि मनुष्य जीवन हमें उपलब्ध है, चौरासी लाख जीव योनियों में छोटे-मोटे कई प्रकार के प्राणी होते हैं, उन चौरासी लाख योनियों में मनुष्य का जन्म महत्त्वपूर्ण होता है। यही एक जीवन है, जहां से आत्मा परमात्मा के पद को प्राप्त कर सकती है। मनुष्य ही मरकर मोक्ष में जा सकता है, सर्व दुःख मुक्त हो सकता है। यह महत्त्वपूर्ण जीवन हमें अभी प्राप्त है, आदमी इस जीवन को गंवा दे, खो दे, कोई धर्म नहीं करे, पापाचार ज्यादा करे तो इस जीवन का सदुपयोग नहीं हो पाता है।
इस जीवन के बाद फिर कब मनुष्य जीवन मिलेगा, पता नहीं है। लंबे काल तक किसी को मिले भी नहीं, इसलिए हमें प्राप्त मनुष्य जन्म का अच्छा उपयोग करें, जिससे हमारी आत्मा मोक्ष की ओर अग्रसर हो सके। आत्मा को नरक या तिर्यंच गति में न जाना पड़े, दुर्गति से बच सकें, इसके लिए अध्यात्म के पथ पर चलने का प्रयास करे। थोड़े लाभ के लिए ज्यादा नुकसान उठाना पड़े ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए। पैसे के लोभ से लाभ हो भी सकता है पर बेईमानी से कमाया हुआ पैसा अशुद्ध होता है, इसलिए ईमानदारी रखनी चाहिए। गृहस्थ जीवन में सद्गुणों का पालन करने का प्रयास करें। दूसरों को तकलीफ न दें, हो सके तो किसी का भला करे। पूज्य प्रवर ने कथानक के माध्यम से प्रेरणा दी कि परोपकार के लिए हो सके तो अपने स्वार्थ का भी त्याग करे दें।
मनुष्य जन्म तो अपने आप में हीरा है, इसका हम धर्म-अध्यात्म में, त्याग-संयम के मार्ग पर चलने में, परोपकार में उपयोग करें तो हमारी आत्मा परमात्मा की दिशा में आगे बढ़ सकती है। मुख्य प्रवचन से पूर्व, चैत्र शुक्ला पंचमी, नेपाली नव वर्ष के उपलक्ष में, परम पावन आचार्य प्रवर ने नेपाल में प्रवासित श्रावकों के लिए मंगल पाठ प्रदान करवाया। कडगांव बॉस्को ग्रामीण विकास केन्द्र के डायरेक्टर फादर जॉर्ज ने पूज्यप्रवर के स्वागत में अपनी भावना अभिव्यक्त की।