अध्यात्मिक मिलन में झलकी प्रसन्नता की अनुभूित
‘शासनश्री’ साध्वी रतनश्रीजी एवं साध्वी संगीतश्रीजी का शालीमार बाग के गोयल भवन में हुआ। समागत साध्वियों का स्वागत करते हुए ‘शासनश्री’ साध्वी रतनश्रीजी ने कहा- आज इन साध्वियों से मिलकर मैं हर्ष विभोर हो गई हूं। हम सब एक हैं, एक ही गगन के चमकते हुए सितारें हैं, एक ही संघ मंदिर जलते हुए दीपक हैं। हम सबका एक ही उद्देश्य है- संघ की सौरभ को दिग् दिगन्त में फैलाना। ‘शासनश्री’ साध्वीश्री सुव्रतांजी ने कहा मैं इनका तहेदिल से स्वागत करते हुए कहती हूं कि ये साध्वियां पूर्वांचल और दक्षिणांचल की प्रलम्ब यात्रा करके आई हैं। अब दिल्ली में दिल खोलकर काम करना है। एक-एक परिवार की संभाल करनी है और शाहदरा चतुर्मास को सफलतम बनाना है।
साध्वी संगीतश्री जी ने अपनी भावाभिव्यक्ति में कहा- आपके दर्शन पाकर मैं अन्यत प्रसन्नता की अनुभूति कर रही हूं। आप अपने अनुभवों से मुझको लाभान्वित करें एवं ऐसा आशीर्वाद दें कि राजधानी में मैं अपने लक्ष्यों को पूर्ण करूं एवं संघ की ख्याति फैलाऊं। ‘शासनश्री’ साध्वी सुमनप्रभाजी, साध्वी कार्तिकप्रभाजी एवं साध्वी चिंतनप्रभाजी ने सुमधुर स्वरों से गीत का संगान कर साध्वी परिवार का स्वागत किया।
साध्वी शांतिप्रभाजी, साध्वी कमलविभाजी एवं साध्वी मुदिताश्रीजी ने भी अपनी प्रसन्नता की अभिव्यक्ति एक भांवपूर्ण गीत के द्वारा की। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, तेरापंथ सभा की अध्यक्षा सज्जन देवी गिड़िया, आदि ने साध्वी वृंद का स्वागत किया। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं एवं महिला मंडल की महिलाओं ने सुमधुर गीत से समागत साध्वियों का हार्दिक अभिनंदन किया। शालिमार सभा के मंत्री अनिरूद्ध जैन ने कार्यक्रम का संयोजन किया।