राष्ट्रपति रामचंद्र की उपस्थिति में बुद्ध के देश में मनाया गया महावीर का जन्म कल्याणक
आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या डॉ. समणी ज्योति प्रज्ञा जी एवं डॉ. समणी मानस प्रज्ञा जी के सान्निध्य में महावीर जन्म कल्याणक दिवस का भव्य कार्यक्रम सम्पूर्ण जैन समाज द्वारा मनाया गया। कार्यक्रम में नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल एवं श्रीमती सविता पौडेल की गरिमामयी उपस्थिति प्राप्त हुई। कार्यक्रम में जैन समाज एवं नेपाली समाज के कई लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का प्रारंभ महिला मंडल के सुमधुर गीत से हुआ। कन्या मंडल ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा रचित - 'जिसकी आज जरूरत' गीतिका की प्रस्तुति दी। महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमणजी, आचार्य श्री पद्मसागर सूरिजी, आचार्य श्री वसुनन्दी जी तथा श्रमण संघीय प्रवर्तक आशीष मुनिजी का परिषद् को प्राप्त आशीर्वचन का वाचन किया गया। डॉ. समणी ज्योतिप्रज्ञा जी मैत्री का जन्म है। मैत्री के राज्य में पराये व अपने का भेद नहीं रहता। मैत्री का अर्थ है- सबको गले लगाना। समणी जी ने कहा कि Hate करने वाला कभी Great नहीं बन सकता। भगवान ने समता का संदेश दि ने कहा कि भगवान महावीर का जन्म सत्य, प्रेम, या था, उनकी सहिष्णुता अनुपमेय थी। प्रश्न होता है कि उन्होंने इतने कष्टों को कैसे सहन किया? समाधान की भाषा में कहा जा सकता है कि वे ध्यान के कक्ष में प्रविष्ट हो गए थे। फलत: वे बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित रहते थे।
डॉ. समणी मानसप्रज्ञा जी ने भगवान महावीर के जीवन को दर्शन के बारे में बताते हुए कहा कि हम भगवान् के पदचिन्हों पर चलकर अपना कल्याण करें, तभी आज का दिन सार्थक होगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति जी के कर कमलों से जिन संसार पत्रिका का भगवान महावीर जन्म कल्याणक विशेषांक एवं नेपाल जैन परिषद द्वारा भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण कल्याणक के पावन अवसर पर जारी चाँदी के सिक्के का लोकार्पण किया गया।