
आचार्य हंसरत्न सूरी के 180 दिन की तपस्या के पारणे में पहुंचे उग्र िवहारी
वरली-मुम्बई। मूर्ति पूजक सम्प्रदाय के आचार्य हंसरत्न सूरी जी के 180 दिन की तपस्या का पारणा िकया गया। वे 160 दिन की तपस्या में ससंघ उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी को पारणे पर पधारने का निमंत्रण देने पधारे। मुनिश्री उनके विनम्र निवेदन को स्वीकार कर अपने सहयोगी संतों सहित कार्यक्रम में पधारे। मुनिश्री को देखते ही आचार्य वर ने सम्मुख पधारकर मुनिश्री को वंदना की। मुनिश्री ने उस समय कविताओं का संगान किया जिनको सुनकर आचार्यश्री ही नहीं उपस्थित अनेक आचार्य और संत गण भी प्रसन्न हुए।
मुनिश्री ने कहा कि 53 वर्ष के संयम जीवन में प्रथम बार इतने बड़े तपस्वी के तप अनुमोदन का अवसर आया है और इतनी बड़ी संख्या में प्रथम बार गच्छाधिपति, आचार्य, पन्यास, साधु, साध्वियों से मिलन हुआ है। उपस्थित आचार्यों ने कहा इस मुख वस्त्रिका को देखकर पूछना नहीं पड़ता कि आप कौन से सम्प्रदाय और किनके शिष्य हैं दूर से ही पता लग जाता है कि ये तेरापंथी और आचार्यश्री महाश्रमणजी के शिष्य हैं। परंतु हमें देखकर लोगों को पूछना पड़ता है कि आप कौन से गच्छ के और किनके शिष्य हैं। लगभग 150 साधु और 200 साध्वियों की उस विशाल उपस्थिति में चार संत तेरापंथ धर्म संघ से थे। इस प्रकार के कार्यों से जैन एकता के साथ धर्मसंघ की सहज प्रभावना होती है। कार्यक्रम वरली डोम में हुआ जिसमें हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।