ज्ञानशाला सत्र शुभारंभ समारोह

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ज्ञानशाला सत्र शुभारंभ समारोह

‘शासनश्री’ साध्वी रतनश्रीजी के सान्निध्य में गोयल भवन, शालीमार बाग में ज्ञानशाला का सत्र शभारंभ समारोह समायोजित किया गया। ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रतांजी ने ज्ञानार्थियों को प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा- कि मूल ऐसा कोई अक्षर नहीं है जिसका मंत्र में प्रयोग न हो। ऐसी कोई वनस्पति नहीं है जिसका औषधि में प्रयोग न हो। ऐसा कोई बच्चा नहीं है जो कुछ बनने लायक न हो। परंतु निर्माण करने वाला मिलना अति दुर्लभ है। ये बच्चे हमारे समाज के कर्णधार बनने वाले हैं, भाग्यविधाना बनने वाले हैं, पर अपेक्षा है कुशल निर्माताओं की।
ज्ञानशाला के संयोजक व्यवस्थापक एवं प्रशिक्षक यह प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। बच्चे भी एकाग्रता पूर्वक पढ़ रहे हैं। जीवन निर्माण के लिए स्कूली शिक्षा अपर्याप्त है। ज्ञानशालाओं के द्वारा यह कार्य सुचारू रूप से हो रहा है। ‘शासनश्री’ साध्वी सुमन प्रभाजी ने अपनी वक्तव्य में कहा- आचार्यश्री तुलसी एक दूरद्रष्टा आचार्य थे, जिन्होंने परिवार, समाज व राष्ट्र निर्माण के लिए अनेक आयाम दिये। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान आदि आयामों के साथ बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए ज्ञानशाला का उपक्रम दिया। ज्ञानशाला एक ऐसा कारखाना है वहां बच्चों के जीवन का निर्माण किया जाता है। इस कारखाना से निर्मित होकर निकलने वाले बच्चे अलग ही दिखाई देते हैं। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं के मंगला चरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
शालीमार बाग, सभाध्यक्ष सज्जन देवी गिड़िया, महिला मंडल उत्तर मध्य दिल्ली की अध्यक्षा मधु सेठिया, दिल्ली ज्ञानशाला परामर्शक रतनलाल जैन, शालीमार बाग ज्ञानशाला व्यवस्थापक सुरेन्द्र जैन, युवक परिषद् उपाध्यक्ष सौरभ आंचलिया ने अपने विचार व्यक्त किये। सह व्यवस्थापक नीरज जैन ने आभार ज्ञापन किया। मुख्य प्रशिक्षिका कान्ता जैन ने कार्यक्रम का संयोजन किया।