युग युग जीओ, आर्यदेव श्री महाश्रमण
युग युग जीओ, युग युग जीओ, आर्यदेव श्री महाश्रमण ।
जन्मोत्सव की शुभ बेला में, शत-शत वंदन अभिनंदन ।।
धन्य धरा सरदारशहर की, मोहन जैसा रत्न मिला,
शिक्षा दीक्षा उस भू पर ही, भाग्य अनोखा सबका खिला ।
छवि तुम्हारी देख सकें हम, मिल जाए ऐसा दर्पण ।।
शांतिप्रदायक जन उन्नायक, घट-घट व्यापी राम हो,
समता साधक, श्री आराधक, पावन तीरथ धाम हो।
शुद्धाचारी विमलविचारी, जय जय श्री जय ज्योतिचरण ।।
शांतिदूत की महरनजर, पाने को तरसे जन-जन,
जन्म-जन्म के क्लेश मिटे, आए गुरू की चरण शरण ।
ऋद्धि दायक, सिद्धि प्रदायक, गणनायक नेमानन्दन ।।
लम्बी लम्बी यात्राओं से, नव इतिहास रचाया है,
महावीर प्रतिनिधि गणमाली, गण का भाग्य सवाया है।
करूं प्रार्थना प्रभुवर तुमसे, धन्य दिवस जब हो दर्शन ।।
जन्मोत्सव, पट्टोत्सव आया, दीक्षोत्सव का शुभ अवसर,
संयमजीवन स्वर्ण जयंति, धर्मसंघ के भाव मुखर।
युगों-युगों तक करो शासना, करते भाव सुमन अर्पण ।
लय- कलयुग बैठा मार कुण्डली