स्वयं की असली पहचान को जानें
श्रवणबेलगोला। श्रवणबेलगोला के कर्नाटक भवन में साध्वी संयमलता जी ने श्रावक-श्राविकाओं को उद्बोधन देते हुए कहा- मनुष्य यह जानता की वह कौन है, वह एक पिता, एक पुत्र, एक व्यापारी है। मनुष्य स्वयं की नई पहचान बनता रहता है, इसके परिणाम स्वरुप वह अपने सच्चे स्वरूप से दूर हो जाता है। जीवन में सारे दु:ख अपनी असली पहचान न जानने के कारण हैं। जब तक आप अपने सच्चे स्वरूप का अनुभव नहीं करते, तब तक आप खुद को उस नाम से मानते हैं जो आपको दिया गया है। वास्तविकता में हम एक शाश्वत आत्मा है। अनंत जन्मों से आत्मा अज्ञानता के आवरण में है। इसके कारण हम स्वयं का अनुभव करने में असमर्थ रहते हैं। साध्वी मार्दवश्री जी ने कहा कि आध्यात्मिक जगत में स्वयं को जानकर ही व्यक्ति भौतिक जगत में सफलता को प्राप्त कर सकता है। साध्वी मनीषाप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी रौनकप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम में मण्डिया की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं श्रावक-श्राविका समाज उपस्थित थे।