गुरु अतिशय मंगलकारी है
महातपस्वी महाश्रमण गुरु अतिशय मंगलकारी है।
दीक्षा कल्याणक उत्सव पर विकसित गण फुलवारी है।।
एक सूर्य रो तेज प्राप्तकर जियां हजारां कमल खिले,
एक मेघ रै सिंचन स्यूं लाखां बेलां तरू फुलै-फलै।
मुस्कानां रै झरने स्यूं आकर्षित दुनियां सारी है।।
तीन देश तेइस राज्यां नै कोमल चरणां स्यूं परस्या,
अद्भुत तृप्ति मिली जनता नै जन-जन मन उपवन सरस्या।
नशामुक्ति अभियान चलायो हितकारी सुखकारी है।।
करूणा सागर सौम्य सुधाकर शीतलता बरसावै है,
उजलो आभामंडल आधि व्याधि नै दूर भगावै है।
सत्यनिष्ठ श्रेयस्कर चिन्तन युग तसवीर संवारी है।।
संघ सदन रै प्रांगण में श्रद्धा रा मोती उछले आज,
तप जप संयम दीप जलाकर पुलकित प्रमुदित सकल समाज।
नाज घणो पा सुखद शासना जागी किस्मत म्हारी है।।
लय : कलियुग बैठा मार कुंडली