रोम-रोम में खिली मुस्कान
रोम-रोम में आज खिली मुस्कान है।
स्वणोत्सव पर संघ क्षितिज पर उतरी स्वर्ण विहान है।।
अनुकंपा के आसमान में चांद सितारे चमक रहे।
वत्सलता के बागवान में सुुमन हजारों महक रहे।
महाश्रमण-2, चरणों में प्रणत जहान है।।
परम पुरूष ने पुरूषार्थी जीवन में भर उल्लास नया।
खून पसीने की स्याही से रचा दिया इतिहास नया।
अमर अहिंसा-2,अणुव्रत रथ गतिमान है।।
तुलसी महाप्रज्ञ के कर कमलों ने जिसे तरासा है।
संयम सुधा पिलाकर मिटा रहा जन्मों की प्यासा है।
सांस-सांस में-2, गूंजे आगम ज्ञान है।।
धर्मसंघ में नई उमंगें नया जोश उत्साह है।
दीक्षोत्सव पर खुले उन्नति की आध्यात्मिक राह है।
सब गायें-2, तेरापंथ संघ महान है।
लय- आने वाले कल की